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उड़ीसा में बिजली निजीकरण विफल, यूपी में क्यों थोप रही सरकार? कर्मचारी भरेंगे हुंकार

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संषर्घ समिति ने उड़ीसा में बिजली निजीकरण की विफलता का हवाला देते हुए यूपी सरकार से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को निजी हाथों में देने का फैसला निरस्त करने की मांग की है।

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Deepak Yadav
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विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारी Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने उड़ीसा में बिजली निजीकरण का प्रयोग विफल होने पर यूपी सरकार से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को निजी हाथों में देने का फैसला निरस्त करने करने की मांग की है। समिति ने ऐलान किया कि निजीकरण के विरोध सितंबर में प्रदेश भर में सम्मेलन होंगे। इसमें किसान, उपभोक्ता और बिजली कर्मचारी अवाज बुलंद करेंगे।

उड़ीसा में लाइसेंस निरस्त करने पर होगी सुनवाई

समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि उड़ीसा के विद्युत नियामक आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए टाटा पावर की चारों विद्युत वितरण कंपनियों का लाइसेंस निरस्त करने के लिए 10 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। पहले यह तारीख 28 अगस्त को तय की गई थी लेकिन 29 अगस्त को उड़ीसा में स्थानीय अवकाश होने के कारण इसे 10 को पुनर्धारित कर दिया गया है।

उपभोक्ता सेवाओं में विफलता का आरोप

उड़ीसा के सभी उपभोक्ता फोरमों की ओर से किशोर पटनायक ने 16 अगस्त को टाटा पावर की चारों विद्युत वितरण कंपनियों का लाइसेंस निरस्त करने की मांग की। उपभोक्ता फोरमों ने उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग रेगुलेशन 2004 की धारा 9(1) और (4) के अंतर्गत उपभोक्ता सेवाओं में पूरी तरह विफल रहने के आरोप लगाते हुए याचिका दाखिल की थी।

निजीकरण के परिणाम विनाशकारी

उपभोक्ता फोरमों ने कहा कि विद्युत परिषद को विघटित करने के बाद बिजली निजीकरण का सबसे पहला प्रयोग उड़ीसा में हुआ। यह दोनों ही प्रयोग पूरी तरह विफल रहे हैं। निजीकरण के परिणाम विनाशकारी है। आरोप लगाया कि भीषण गर्मी में घंटों बिजली की कटौती की जा रही है। बिना नोटिस के कनेक्शन काटने समेत बेतहाशा बढ़े हुए गलत बिल भेजे जा रहे हैं। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाकर उपभोक्ताओं को परेशान किया जा रहा है।

उड़ीसा में पहली बार 1999 में निजीकरण

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समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि उड़ीसा में सबसे पहले 1999 में निजीकरण किया गया था। निजीकरण के एक साल बाद ही अमेरिका की एईएस कंपनी वापस चली गई। रिलायंस पावर की बाकी तीनों कंपनी का लाइसेंस फरवरी 2015 में विद्युत नियामक आयोग ने पूरी तरह अक्षम रहने के कारण रद्द कर दिया था।

15 जुलाई को  चारों कंपनियों को नोटिस

उन्होंने बताया कि 2020 में चारों कंपनियों का लाइसेंस टाटा पावर को दिया गया और अब विद्युत नियामक आयोग ने बेहद खराब उपभोक्ता सेवा का स्वत: संज्ञान लेते हुए 15 जुलाई को टाटा पावर की चारों कंपनियों को नोटिस जारी कर दिया है। टाटा पावर का लाइसेंस निरस्त करनी के लिए 10 अक्टूबर को सुनवाई होगी।

यूपी में न थोपा जाए निजीकरण

दुबे ने कहा की उड़ीसा में कृषि क्षेत्र उत्तर प्रदेश की तुलना में बहुत कम है। बिजली के क्षेत्र में घाटा मुख्यतः ग्रामीण और कृषि क्षेत्र में होता है। निजीकरण का प्रयोग उड़ीसा जैसे औद्योगिक प्रांत में विफल रहा है ऐसे में उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों की गरीब जनता पर निजीकरण न थोपा जाय।

Electricity Privatisation | VKSSUP

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