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Electricity Privatisation : संषर्घ समिति ने निदेशक वित्त पर लगाए गंभीर आरोप, आयोग दफ्तर पर प्रदर्शन की चेतावनी

संघर्ष समिति ने कहा कि नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने पांच अक्टूबर 2020 को समिति के साथ एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें लिखा है कि बिजली कर्मियों को विश्वास में लिए बिना प्रदेश में किसी भी क्षेत्र में बिजली का निजीकरण नहीं किया जाएगा।

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Deepak Yadav
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विद्युत कर्मचारी संषर्घ समिति ने निदेशक वित्त पर लगाए गंभीर आरोप Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। प्रदेश में बिजली निजीकरण (Electricity Privatisation) को लेकर चल रही जोर आजमाइश के बीच विद्युत कर्मचारी संषर्घ समिति ने पावर कारपोरेशन के निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। समिति ने आशंका जताई कि नारंग ने निजीकरण से सम्बंधित 10 से अधिक फाइलों के दस्तावेज की छाया प्रति अपने पास रखी है। इसी आधार पर समिति ने मांग की कि निदेशक वित्त का कक्ष तत्काल सील किया जाए। ताकि गोपनीय दस्तावेज बाहर न जा सकें। साथ ही, चेतावनी दी कि निजीकरण के मसौदे को अनुमति दिए जाने पर विद्युत नियामक आयोग कार्यालय पर मौन प्रदर्शन किया जाएगा।

निजीकरण का मसौदा निरस्त करे आयोग

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने पांच अक्टूबर 2020 को पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष रहते समिति के साथ एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें लिखा है कि बिजली कर्मियों को विश्वास में लिए बिना प्रदेश में किसी भी क्षेत्र में बिजली का निजीकरण नहीं किया जाएगा। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के दस्तावेज को मंजूरी देना इस समझौते का उल्लंघन होगा। 

दागी कंपनी ने तैयार की निजीकरण की फाइल

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाया कि नि​जि घरानों के फायदे के लिए झूठा शपथ देने वाली सलाहकार कंपनी ग्रांट थॉर्नटन ने निजीकरण का मसौदा तैयार किया है। इसी तरह ए टी एंड सी हानियां अधिक दिखाकर आगरा शहर की बिजली व्यवस्था अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी के तहत टोरेंट पावर को दे दी गई थी। परिणामस्वरूप टोरेंट प्रतिवर्ष 800 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा रही है और पावर कारपोरेशन को लगभग 1000 करोड़ का घाटा हो रहा है। अब मात्र 6500 करोड़ रुपये की रिजर्व प्राइस पर सरकारी बिजली कंपनियों को बेचकर एक बड़े घोटाले की पृष्ठभूमि तैयार की गई है।

आयोग दफ्तर पर प्रदर्शन की चेतावनी

उन्होंने कहा कि नियामक आयोग को निजीकरण के मसौदे पर बिजली कर्मियों का अभिमत जानने के लिए संघर्ष समिति से तत्काल वार्ता करनी चाहिए। चेतावनी दी कि निजीकरण के आरएफपी डॉक्यूमेंट को निरस्त न किया तो विरोध दर्ज करने के लिए बिजली कर्मी नियामक आयोग पर मौन प्रदर्शन करने के लिए विवश होंगे। दुबे ने बताया कि रविवार को  पदाधिकारियों ने निजीकरण के नाम पर हो रहे घोटाले और लूट से प्रदेश भर में लोगों को अवगत कराया।

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