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वर्टिकल सिस्टम का मामला पहुंचा नियामक आयोग : उपभोक्ता परिषद ने कहा- 4 जिलों में फेल, फिर क्यों थोप रहे?

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने वर्टिकल व्यवस्था को निजीकरण की साजिश करार दिया है। परिषद ने दावा किया कि कानपुर, अलीगढ़, मेरठ और बरेली में यह व्यवस्था फेल हो चुकी है।

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Deepak Yadav
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वर्टिकल व्यवस्था का मामला पहुंचा नियामक आयोग Photograph: (Google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राजधानी लखनऊ में एक नवंबर से बिजली विभाग में वर्टिकल व्यवस्था लागू करने का आदेश जारी जा चुका है। निजी कंपनियों की तरह कार्य प्रणाली लाने के लिए यह व्यवस्था नोएडा सहित सहित अन्य जिलों भी शुरू की जाएगी। इससे पहले इस नई व्यवस्था का विरोध शुरू हो गया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने वर्टिकल व्यवस्था को निजीकरण की साजिश करार दिया है। परिषद ने दावा किया कि कानपुर, अलीगढ़, मेरठ और बरेली में यह व्यवस्था फेल हो चुकी है। इससे उपभोक्ताओं को कोई लाभ नहीं मिला। इसके बावजूद औद्योगिक समूहों के दबाव में इसे अभी भी उपभोक्ताओं पर थोपा जा रहा है। 

1912 की सेवाओं से 95 प्रतिशत जनता नाखुश

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) में वर्टिकल सिस्टम के विरोध में लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल किया। इसमें कहा कि आयोग की अनुमति के बिना वर्टिकल व्यवस्था लागू कर दी गई। इसके तहत उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान के लिए केंद्रीकृत प्रणाली बनाई गई, जो विफल साबित हो रही है। वहीं, 1912 की सेवाओं से प्रदेश की 95 प्रतिशत जनता असंतुष्ट है।

नियामक आयोग की अनुमति बिना व्यवस्था परिवर्तन 

परिषद अध्यक्ष ने विद्युत वितरण संहिता के प्रावधानों के उल्लंघन का मामला उठाते हुए कहा कि 1947 में बने राज्य विद्युत परिषद के ढांचे में बदलाव किया जा रहा है। व्यवस्था परिवर्तन से पहले नियामक आयोग से कोई अनुमति नहीं ली गई है। उन्होंने कहा कि 912 पर दर्ज शिकायतों और उनके समाधान का कोई ट्रैक उपलब्ध नहीं है। ओटीपीसी आधारित शिकायत प्रणाली की कोई स्पष्ट प्रक्रिया उपभोक्ताओं को नहीं बताई गई है। जबकि आयोग इस पर एक रिपोर्ट तैयार कर इसे लागू करने का निर्देश दे चुका है।

उपभोक्ता परिषद की​ मांगें

  • वर्टिकल व्यवस्था को रोका जाए, जब तक आयोग से अनुमति न ली जाए।
  • उपभोक्ताओं को स्पष्ट व पारदर्शी सूचना दी जाए। जैसे संपर्क अधिकारी, शिकायत पद्धति और समाधान की समय-सीमा।
  • 1912 व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए और ओटीपी आधारित प्रणाली को उपयुक्त व सुगम बनाया जाए।
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