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निजीकरण के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की तैयारी Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऐलान किया कि 10 अक्टूबर को ग्रुप आफ मिनिस्टर्स की मीटिंग में किए गए फैसले के अनुसार केंद्र से मिलने वाली वित्तीय सहायता के नाम पर उप्र सहित पूरे देश के विद्युत वितरण निगमों को निजी घरानों को सौंपने की कोशिश के विरोध में उप्र के बिजली कर्मी और इंजीनियर देशभर के बिजली कर्मचारियों के साथ मिलकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेंगे।
बिजली कर्मियों ने ली निजीकरण रोकने की शपथ
समिति के आह्वान पर आज सरदार वल्लभभाई पटेल की 151वीं जन्म जयंती पर प्रदेश के समस्त जनपदों में बिजली कर्मियों ने लौह पुरुष को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए संकल्प लिया कि सरकारी क्षेत्र में चल रहे उत्तर प्रदेश में पावर सेक्टर का निजीकरण किसी भी परिस्थिति में नहीं होने देंगे। इसके लिए वे कोई भी बलिदान करने के लिए तैयार है। राजधानी लखनऊ में बिजली कर्मियों ने जीपीओ पार्क स्थित सरदार पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित किया और निजीकरण के विरोध में संघर्ष तब तक जारी रखने का संकल्प लिया, जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता।
ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की मीटिंग पर समिति का विरोध
पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली संविधान की आठवीं अनुसूची में बिजली के मामले में केंद्र और राज्य सरकार के बराबर के अधिकार है। ऐसे में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की मीटिंग में सारे देश पर विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का फैसला कैसे थोपा जा सकता है? उन्होंने कहा कि 10 अक्टूबर को हुई ग्रुप आफ मिनिस्टर्स की मीटिंग में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु ,आंध्र प्रदेश और राजस्थान के विद्युत मंत्री शामिल थे। इनके बीच यह सहमति बनी कि विद्युत वितरण निगमों को केंद्र से मिलने वाली वित्तीय सहायता के लिए तीन विकल्प दिए जाए।
वित्त और ऊर्जा मंत्रालय ने शुरू किया मसौदे पर काम
पहला विकल्प विद्युत वितरण निगमों को 51% इक्विटी बेचकर निजीकरण करने का, दूसरा विकल्प विद्युत वितरण निगमों को कम से कम 26% इक्विटी निजी क्षेत्र को बेचने और प्रबंधन निजी क्षेत्र का स्वीकार करने और तीसरा विकल्प विद्युत वितरण निगमों को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट कराए जाने का है। मीटिंग में लिए गए निर्णय के आधार पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय और केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने इस मसौदे पर काम करना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि संसद के आगामी बजट सत्र में केंद्र सरकार यह प्रस्ताव रखने और पारित करने वाली है।
निजीकरण को लेकर सरकारें उतावली
उन्होंने कहा कि एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों का निजीकरण करने का निर्णय लिया है। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र को सरकारी विद्युत वितरण कंपनियों का नेटवर्क इस्तेमाल करने की इजाजत देने के लिए ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025, अक्टूबर 9 को जारी किया है, तो तीसरी ओर इसकी प्रतीक्षा किए बिना अगले ही दिन 10 अक्टूबर को वित्तीय सहायता के नाम पर राज्यों पर विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का निर्णय थोपने का फैसला ले लिया। इससे ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार पूरे पावर सेक्टर का निजीकरण करने के लिए बेहद उतावली है।
चोर दरवाजे से निजीकरण करने की चेष्टा
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि यह सरासर ब्लैक मेलिंग है और चोर दरवाजे से निजीकरण करने की चेष्टा है। जिसका देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर संयुक्त रूप से पुरजोर विरोध करेंगे। उन्होंने बताया कि नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की आगामी तीन नवंबर को मुंबई में मीटिंग हो रही है। इस मीटिंग में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 और वित्तीय सहायता के नाम पर निजीकरण का दबाव डाले जाने के मामले पर विचार विमर्श कर देशव्यापी आंदोलन का निर्णय लिया जाएगा।
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