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पूर्व न्यायाधीश राकेश श्रीवास्तव Photograph: (BBAU)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश राकेश श्रीवास्तव ने कार्यस्थल पर महिलाओं से होने वाले यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए बनाए गए POSH अधिनियम (POSH Act) के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम का मकसद महिलाओं को सुरक्षित, सम्मानजनक और समान अवसरों वाला कार्य वातावरण देना है। उन्होंने कहा कि यह कानून तभी प्रभावी सिद्ध होगा जब इसका सही तरह से उपयोग किया जाए। प्रशासनिक तंत्र इसमें पूरा सहयोग करे।
समाज की संवेदनशीलता से ही सफल होंगे कानून
जस्टिस श्रीवास्तव ने मंगलवार को अम्बेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित 'यौन उत्पीड़न की रोकथाम' पर दो दिवसीय जागरुकता कार्यक्रम के समापन पर कहा कि किसी भी कानून की सफलता केवल उसके अस्तित्व में रहने से नहीं, बल्कि सही क्रियान्वयन और समाज की संवेदनशीलता पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न के लिए समाज में कोई जगह नहीं है। ऐसे अपराधों के प्रति शून्य सहनशीलता की भावना बेहद जरुरी है।
महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव जरुरी
डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू ने कहा कि अक्सर घटना के बाद कई बार दोषी को पीड़ित और बेगुनाह को गुनहगार मान लिया जाता है। इसी वजह से महिलाएं अपने साथ हुए दुर्व्यवहार, उत्पीड़न और हिंसा की शिकायत नहीं करती हैं। इस संकुचित मानसिकता को बदलने की जरुरत है। ताकि महिलाएं निडर होकर अपनी बात रख सकें। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध सिर्फ कानून से नहीं, बल्कि समाज की सोच में बदलाव लाकर ही रोके जा सकते हैं। जब हर घर में बराबरी की भावना विकसित होगी, तभी 'नारी सम्मान' और 'महिला सुरक्षा' का मार्ग प्रशस्त होगा।
BBAU |
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