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निजीकरण और बिजली संशोधन बिल के खिलाफ कर्मचारी लामबंद Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। निजीकरण और बिजली संशोधन विधेयक के खिलाफ देशभर के बिजली कर्मचारी लामबंद हो गए हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि दोनों फैसले वापस नहीं लिए जाने पर 30 जनवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर बिजली कर्मचारी और इंजीनियर रैली करेंगे। इससे पहले रैली 15 नवंबर से 15 जनवरी तक देश के सभी प्रांतों में बिजली कर्मचारियों, किसानों और उपभोक्ताओं के सम्मेलन होंगे।
निजीकरण के बाद 12 रुपये प्रति यूनिट हो जाएंगी बिजली
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बिजली संशोधन विधेयक से केंद्र सरकार देश के पूरे ऊर्जा क्षेत्र को निजीकरण करना चाहती है। निजीकरण के बाद गरीबी रेखा से नीचे के उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें 10-12 रुपये प्रति यूनिट हो जाएंगी। किसानों को प्रतिदिन छह घंटे 6.5 हॉर्सपावर पंप चलाने पर 12 हजार रुपये प्रति माह बिजली बिल देना होगा।
केंद्र सरकार राज्यों के छीन रही अधिकार
उन्होंने कहा कि बिजली संविधान की सातवीं अनुसूची में समवर्ती सूची के तहत सूचीबद्ध है। इसमें बिजली मामलों में केंद्र और राज्य सरकारों के समान अधिकार हैं। इस संशोधन विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार बिजली मामलों में राज्यों के अधिकार छीन रही है। उन्होंने बिजली वितरण और टैरिफ निर्धारण में केंद्र सरकार का सीधा हस्तक्षेप होगा। जो संघीय ढांचे और संविधान की भावना के विरुद्ध है।
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निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी संग किसान-मजदूर हुए लामबंद, दिल्ली में होगा देशव्यापी आंदोलन का ऐलान
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