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अभियंताओं ने निजीकरण के विकल्पों को नकारा Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बिजली अभियंताओं ने पावर कारपोरेशन की ओर से दिए गए निजीकरण के विकल्पों को सिरे से खारिज कर दिया है। अभियंताओं ने संकल्प लिया कि निजीकरण के विरोध में आंदोलन और तेज किया जाएंगा। यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक बिजली निजीकरण का प्रस्ताव वापस नहीं लिया जाता है। रविवार को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ चिन्तन मंथन शिविर में यह फैसला किया गया।
जेल भरो आंदोलन का आह्वानऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने पावर कारपोरेशन के पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के बाद दिए जाने वाले तीनों विकल्पों नौकरी कंपनियों में नौकरी ज्वॉइन करने, अन्य निगमों में वापस आने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि ये ती विकल्प बिजली कर्मियों के भविष्य को बर्बाद करेंगे। इसलिए निजीकरण किसी स्थिति में स्वीकार नहीं है। उन्होंने इंजीनियरों से निजीकरण का टेंडर होते ही सामूहिक जेल भरो आंदोलन की तैयारी करने का आह्वान किया।
वर्टिकल व्यवस्था का कड़ा विरोध
शिविर में अभियंताओं ने विद्युत वितरण क्षेत्रों में की जा रही वर्टिकल व्यवस्था का विरोध किया। इसमें पश्चिमांचल और मध्यांचल के बड़े शहर शामिल हैं। शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि पुख्ता जानकारी मिली है कि जिन जिन शहरों में वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग सिस्टम लागू किया जा रहा है। उन सभी शहरों के अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी का टेंडर भी पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के टेंडर के साथ ही जारी किया जाएगा।
16 अक्टूबर को अभियंता संघ की सभा
चिन्तन मंथन शिविर में निर्णय लिया गया कि दीपावली पर रिकॉर्ड बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अभियन्ता अतिरिक्त प्रयास करेंगे। इसके लिए दीपावली के पहले 16 अक्टूबर को सभी जनपदों में अभियन्ता संघ की सभा होगी। जिसमें दीपावली पर्व के दौरान रिकॉर्ड बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए योजना बनाई जायेगी। उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव जितेन्द्र सिंह गुर्जर ने कहा कि चिन्तन मंथन शिविर का उद्देश्य अभियंताओं को निजीकरण के विरोध में संघर्ष के लिये प्रशिक्षित करना है। उन्होंने कहा कि मेरठ, आगरा, वाराणसी के बाद यह चौथा शिविर था।
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