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गोवध अधिनियम के फर्जी मामलों की बाढ़ : हाई कोर्ट ने सरकार से किया जवाब तलब, पूछा फर्जी मुकदमे रोकने को क्या कदम उठाए?

कोर्ट ने आदेश उस समय पारित किया जब याची की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए उसने पाया कि याची को पुलिस केवल इसलिए परेशान कर रही थी क्योंकि गोवंश ले जाने वाली गाड़ी उसके नाम रजिस्टर्ड थी।

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Deepak Yadav
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गोवध अधिनियम के फर्जी मामलों की बाढ़ Photograph: (Google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।  इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा है कि प्रदेश में गोवंश का परिवहन अपराध की श्रेणी में नहीं आता। कोर्ट ने कहा कि उसके सामने ऐसे मुकदमों की बाढ़ आ रही, जिसमे लोंगो को गौ हत्या अधिनियम में  फर्जी फंसाया जा रहा है। कोर्ट ने इस पर प्रमुख सचिव गृह व डीजीपी से व्यक्ति गत हलफनामा मांगा है कि गौ हत्या अधिनियम का दुरुपयोग को रोकने के लिए क्या कदम उठाये जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि सात नवंबर हलफनामा नहीं आया तो वह खुद कोर्ट में पेश होकर जवाब दें। यह आदेश जस्टिस अब्दुल मोईन व एके चैधरी की बेंच ने प्रतापगढ़ निवासी राहुल यादव की याचिका पर गत नौ अक्टूबर को पारित किया।

बिना ठोस कारण एफआई दर्ज, कार्ट नाराज

कोर्ट ने आदेश उस समय पारित किया जब याची की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए उसने पाया कि याची को पुलिस केवल इसलिए परेशान कर रही थी क्योंकि गोवंश ले जाने वाली गाड़ी उसके नाम रजिस्टर्ड थी। जबकि गाड़ी उसका ड्राइवर चला रहा था और उस पर नौ गौवंश परिवहन कर ले जाए जा रहे थे। याची का कहना था कि उन गौ वंशों की हत्या का कोई इरादा नहीं था तो ऐसे में उन्हें गौ वध अधिनियम में फंसाना गलत है। 

कोर्ट का आदेश- याची को ना करें परेशान

इस पर कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि याची को प्रताड़ित ना किया जाय। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इन दिनों उसके सामने गो वध अधिनियम में फर्जी फंसाने के बहुत मामले आ रहे हैं जिनमें याची का काफी पैसा और कोर्ट का बहुमूल्य समय जाया हो जाता है। कोर्ट ने पुराने फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश के भीतर गो वंश का मात्र परिवहन करना अपराध नहीं है। यह भी कहा कि गोवंश हत्या करने की तैयारी करना भी अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।  

याची पर गौहत्या का आरोप गलत

प्रस्तुत मामले में कोर्ट ने पाया था कि सभी नौ गोवंश को कोई चोट नहीं थी और ना ही उनकी हत्या हुई थी और उनका परिवहन भी अमेठी से प्रतापगढ़ किया जा रहा था। तो याची को गोहत्या अधिनियम में फंसना गलत है। हालांकि कोर्ट ने केस की विवेचना नहीं रोकी है और याची को विवेचना में पुलिस का सहयोग करने को कहा है।

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फर्जी एफआईआर पर कोर्ट सख्त

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह व डीजीपी से कहा कि वें बतायें कि गो वंश मामलों में सतही प्राथमिकियां क्यों दर्ज की जा रही हैं और यदि ऐसा हो रहा है तो सूचनाकर्ता और संबंधित पुलिस अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है। 

सरकार पर क्यों ना भारी जुर्माना लगाया जाए

कोर्ट ने इन दोनों अफसरों से पूछा कि क्यों ना ऐसे मामलों में सरकार पर भारी जुर्माना लगाया जाए। इसके अतिरिक्त कोर्ट ने गो वंश मामलों में भीड़ हिंसा व कुछ लोंगो और संगठनों की अति सक्रियता पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी जवाब मांगा है।

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