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यूपी में नया बिजली कनेक्शन लेना मंहगा Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में नया बिजली कनेक्शन लेने पर अब प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। इसके लिए उपभोक्ताओं को करीब छह से आठ हजार रुपये अतिरिक्त देने पड़ेंगे। हालांकि, पावर कारपोरेशन की ओर से अभी इस पर स्पष्ट गाइडलाइन जारी नहीं की गई कि स्मार्ट मीटर की कीमत कैसे वसूली जाएगी। प्रदेश में पहले से लगे मीटरों को बदला जा रहा है। उन्हें हटा कर नया स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जा रहा है। अब तक करीब 37 लाख मीटर लगाए जा चुके हैं।
कृषि उपभोक्ताओं को छूट
प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने सभी निगमों को निर्देश दिया है कि नए कनेक्शन देते वक्त स्मार्ट प्रीपेड मीटर ही लगाएं, ताकि भविष्य में इसे बदलने की जरूरत न पड़े। उन्होंने कृषि उपभोक्ताओं को अभी इसके दायरे में नहीं रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंन कहा कि अन्य सभी उपभोक्ताओं के खराब मीटर बदलने अथवा भार बढ़वाने पर मीटर बदलने के दौरान स्मार्ट प्रीपेड मीटर ही लगाए जाएं। जहां अभी स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, वहां काम शुरू होते ही यह व्यवस्था स्वतः लागू हो जाएगी।
नए उपभोक्ताओं को देने पड़ेंगे पांच से 8 हजार रुपये
पावर कारपोरेशन की ओर से स्मार्ट मीटर लगाने के आदेश से अब नया कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं को करीब छह से आठ हजार रुपये अतिरिक्त देने पड़ेंगे। अभी तक पुराना मीटर आठ सौ में लगता था। वर्ष 2019 अनुसार पहले नए कनेक्शन पर सिंगल फेज के लिए मीटर की कीमत- 872 रुपये और थ्री फेज की कीमत 2921 रुपये है। यदि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे तो सिंगल फेज प्रीपेड मीटर के लिए 6016 और थ्री फेज की कीमत 11341 रुपये चुकाना पड़ेगा।
उपभोक्ताओं को दिया जाए 5 प्रतिशत तक रिबेट : उपभोक्ता परिषद
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि कारपोरेश के पास उपलब्ध प्रीपेड मीटर आरडीएसएस योजना में खरीदे गए हैं। उस पर आम जनता से पैसा नहीं लेना है। ऐसे में उसे मीटर को नए कनेक्शन पर लगाकर पावर कारपोरेशन कैसे रुपये वसूल करेगा यह उसे स्पष्ट करना चाहिए। भारत सरकार ने कहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मोड वाले विद्युत उपभोक्ताओं को रिबेट पांच प्रतिशत तक दिया जाए।
हजारों पद समाप्त करने की साजिश : संघर्ष समिति
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन निजीकरण से पहले हजारों पद समाप्त करने की साजिश कर रहा है। इससे वर्टिकल सिस्टम लागू करने की तैयारी चल रही है। पदाधिकारियों ने कहा कि लेसा में 2055 नियमित और करीब 6000 संविदा कर्मियों के पद मनमाने ढंग से समाप्त कर प्रबंधन प्रदेश की राजधानी की बिजली व्यवस्था पटरी से उतारने का काम कर रहा है। लेसा में अधीक्षण अभियंता स्तर के 12 पद स्वीकृत हैं, उन्हें घटाकर आठ किया जा रहा है। अधिशासी अभियंता स्तर के 50 स्वीकृत पदों को घटाकर 35 किया जा रहा है। सहायक अभियंता स्तर के 109 स्वीकृत को घटाकर 86 किया जा रहा है। ऐसे ही अन्य नियमित पदों में कटौती की जा रही है। छंटनी की सबसे बड़ी मार संविदा कर्मियों पर पड़ रही है।
पूर्वांचल और केस्को के निदेशक को चेतावनी
पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने शक्ति भवन में समीक्षा के दौरान डिस्कॉम की ओर से आर्थिक सुधारों सहित विभिन्न मुद्दों पर संतोषजनक प्रस्तुतीकरण न देने पर नाराजगी जताई। उन्होंने पूर्वांचल के निदेशक वाणिज्य शिशिर सिंह और केस्को के निदेशक वाणिज्य राकेश वार्ष्णेय को चेतावनी देते हुए कार्यप्रणाली में सुधार के लिए छह माह का समय दिया है। डॉ. गोयल ने साफ किया कि निर्धारित समय में सुधार न होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों के कसे पेंच
गोयल ने प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रबंध निदेशक, निदेशक और मुख्य अभियंता विभागीय कार्यों तथा निर्धारित लक्ष्यों की सफलता के लिए नियमित समीक्षा करें। सभी अधिकारी अपने क्षेत्रों में बिजली चोरी रोकने, बिल वसूली, बिल वितरण, बिजली आपूर्ति और स्मार्ट मीटरिंग की व्यवस्था दुरुस्त रखें।
भूमिगत केबल, पाइप बिछाने में अब नहीं चलेगी विभागों की मनमानी
अब बिजली के तार, पेयजल, सीवर और गैस पाइपलाइन बिछाने में विभाग और कंपनियां मनमानी नहीं कर सकेंगी। काम के दौरान अगर सड़क खोदाई में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा तो जिम्मेदार कंपनी पर कार्रवाई होगी। इसके लिए प्रदेश स्तर पर भूमिगत सेवाओं से जुड़े कार्यों के लिए सुगम पोर्टल विकसित किया जा रहा है। नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने विभिन्न विभागों के साथ बैठक कर निर्देश दिया कि जल निगम, बीएसएनएल, पीडब्ल्यूडी, ऊर्जा विभाग, वन विभाग या अन्य कोई भी विभाग नगरीय क्षेत्र में कार्य शुरू करने से पहले इस पोर्टल पर आवेदन करें और साथ ही यूजर चार्ज भी जमा करें। काम पूरा होने के बाद यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी अन्य विभाग की परिसंपत्तियों को नुकसान नहीं हुआ है। यदि नुकसान हुआ है तो संबंधित कंपनी और विभाग को उसकी मरम्मत करनी होगी। तभी उसकी राशि वापस की जाएगी।
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