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Good News: पंगेशियस मछली ने बदल दी बाराबंकी के असलम की किस्‍मत, आखिर कैसे?

उप्र मत्स्य विभाग के मार्गदर्शन में किए गए प्रयासों से मत्स्य पालन के बड़े व्‍यवसायी बने असलम। साल 2018 में मत्स्य पालन में बाराबंकी में असलम को मिला प्रथम स्थान। 24 तालाब व दो नर्सरी के जरिये सफलता की नई कहानी लिख रहे असलम।

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Vivek Srivastav
18 aug 1d

अपने तालाब की मछली के साथ असलम। Photograph: (वाईबीएन)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। डबल इंजन सरकार की योजनाओं का साथ और उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग का मार्गदर्शन मिला तो बाराबंकी के असलम ने 'आकाश' छू लिया। असलम ने 2014 में केले के व्यापार का आगाज किया, लेकिन निराशा हाथ लगी, वही असलम मत्स्य पालन क्षेत्र में 2018 में बाराबंकी में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके हैं। डबल इंजन सरकार की योजनाओं, मत्स्य विभाग के मार्गदर्शन और अपनी मेहनत के बलबूते असलम आज न सिर्फ सफलता का पर्याय बन चुके, बल्कि आत्मनिर्भर होने के साथ युवाओं को भी रोजगार भी दे रहे हैं। 

2014 में शुरू की थी केले की खेती

बाराबंकी के फतेहपुर तहसील के बकरापुर गांव के जव्वाद खान के पुत्र असलम खान (40) अब वहां के युवाओं के प्रेरणास्रोत हो गए हैं। स्नातक उत्तीर्ण असलम खान ने 2014 में अपनी पैतृक भूमि पर लगभग 8 एकड़ क्षेत्रफल में केला उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया, यह कार्य वर्ष 2016 तक चला। शुरू में अच्छी आमदनी हुई, परंतु बाद में आमदनी में गिरावट होने से उन्होंने यह व्यवसाय छोड़ दिया। फिर नए व्यवसाय की तलाश में लग गए। 

शुरू में मत्स्य पालन में भी नहीं मिला लाभ, लेकिन नहीं मानी हार

बाराबंकी के ही ग्राम गंगवारा, विकास खंड देवा के मत्स्य पालक मो. आसिफ सिद्दीकी के फार्म को देखने का अवसर मिला। मो. आसिफ से जानकारी लेने के बाद असलम खान ने शुरू में 27000 स्‍क्‍वॉयर फिट में 3 तालाब बनाकर पंगेशियस मछली का पालन प्रारम्भ किया। शुरू में अच्छा मत्स्य बीज नहीं मिलने और जानकारी के अभाव में हानि उठानी पड़ी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। फिर से उन्होंने इन्हीं तीन तालाबों में 35 हजार पंगेशियस फिंगरलिंग का संचय किया तथा छह माह में लगभग 700 ग्राम की 21 टन मछली का उत्पादन किया। इससे उन्हें 8,40,000 रुपये का लाभ प्राप्त हुआ। इससे उत्साहित होकर 2018 में फिर एक एकड़ में एक और तालाब बनाया। उसमें पंगेशियस के साथ-साथ भारतीय मेजर कार्प मछली का भी संचय किया।

24 तालाब और दो नर्सरी बनाकर मत्स्य पालन कर रहे असलम

वर्तमान में 08 एकड़ भूमि में 24 तालाब एवं 02 नर्सरी बनाकर मत्स्य पालन का कार्य वृहद रूप से कर रहे हैं। वर्तमान वर्ष में असलम ने 3 लाख पंगेशियस मत्स्य बीज संचित किया था। इससे लगभग 2.20 लाख मत्स्य बीज के सापेक्ष कुल 162 टन मछली की बिक्री की जा चुकी है। अभी उनके फार्म में औसत 400-500 ग्राम की लगभग 40 हजार मछली उपलब्ध है। इसकी बिक्री भी दिसंबर से प्रारंभ होगी। असलम ने जनवरी 2019 से एबीस मत्स्य पूरक आहार की डीलरशिप ली। अब बाराबंकी, लखनऊ, सीतापुर, उन्नाव, अयोध्या, बहराइच तथा गोंडा के लगभग 350 किसानों को मत्स्य पूरक आहार की आपूर्ति भी कर रहे हैं। 

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मत्स्य विभाग का सहयोग ना प्रेरक, बअब 10 युवाओं को दे रहे प्रत्यक्ष रोजगार

असलम ने इस कार्य के प्रारंभ और सफलता की यात्रा में जनपद के मत्स्य विभाग के सहयोग को सराहनीय बताया। वहां से उन्हें मार्गदर्शन, प्रोत्साहन और मात्स्यिकी से जुड़ी अन्य गतिविधियों को अपनाने की प्रेरणा मिली। वर्ष 2018 में मत्स्य पालन क्षेत्र में असलम को जनपद में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। 2017 से मत्स्य पालन किये जाने के पश्चात ब्लॉक निंदूरा में वर्तमान में पंगेशियस मछली का पालन लगभग 25 हेक्टेयर में हो रहा है। असलम वर्तमान में 10 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार दे रहे हैं। यह लोग मत्स्य फार्म संचालन एवं फीड वितरण में असलम की सहायता करते हैं।

एफपीओ का गठन करना चाहते हैं असलम

मत्स्य पालक असलम खान अभी 350-400 मत्स्य किसानों के संपर्क में हैं। वे उन्हें मत्स्य पालन में यथासंभव आवश्यक सेवाएं भी दे रहे हैं। वे अपने फार्म पर आरएएस इकाई स्थापित कर चुके हैं। आरएएस इकाई में सर्दियों में पंगेशियस बीज रियरिंग का कार्य करेंगे, जिससे फरवरी एवं मार्च तक आसपास के किसानों को मत्स्य बीज उपलब्ध करा सकें। वे मत्स्य विभाग के सहयोग से एफपीओ भी गठित करना चाहते हैं। 

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इस बारे में मत्स्य विभाग के निदेशक एनएस रहमानी ने बताया कि मत्स्य पालन कर युवाओं व महिलाओं ने सफलता की नई कहानी लिखी है, जो केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं की प्रभावशीलता और जमीनी स्तर पर सफलता को दर्शाती है। प्रदेश सरकार के नेतृत्व में समाज के सभी वर्ग तक केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है। मत्स्य पालन जैसी विभिन्न योजनाओं से जुड़कर भी लोग आत्मनिर्भर और प्रदेश के आर्थिक विकास में सहभागी बन सकते हैं।

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