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महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने बच्चों में जंक फूड के प्रति बढ़ते आकर्षण पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। ऐसे में उनके पोषक युक्त आहार और खेलकूद पर विशेष ध्यान देना बेहद जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षा, स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के आपसी समन्वय और नीतिगत कार्यक्रमों के जरिए यह संभव होगा।
मीडिया युवाओं को करे जागरुक
जौहरी शुक्रवार को सरकार और यूनिसेफ के सहयोग से स्कूल जाने वाले बच्चों और किशोर-किशोरियों में स्वस्थ आहार और जीवनशैली को बढ़ावा देने को लेकर एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि इस काम में मीडिया की भूमिका भी अहम है। मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह युवाओं को स्वस्थ आहार के प्रति जागरुक करे।
बच्चों की क्षमताओं का विकास जरूरी
शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित उत्तर प्रदेश और विकसित भारत बनाने का सरकार का सपना तभी पूरा होगा, जब बच्चों की सभी क्षमताएं विकसित हों और इसके लिए उचित पोषण और स्वस्थ जीवनशैली जरूरी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा तथा महिला एवं बाल विकास विभाग मिलकर बच्चों के शुरूआती और किशोरावस्था में पोषण को बेहतर करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की जरुरत है।
यूनिसेफ करेगा स्कूलों में पोषण का आंकलन
राष्ट्रीय टीकाकरण अधिकारी डॉ. अजय गुप्ता ने बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए विफ्स और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक अमित मेहरोत्रा ने कहा कि यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के कुछ चयनित स्कूलों में बच्चों का पोषण आंकलन करेगा। उसके आधार पर सरकार को नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलेगी। एसजीपीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने शुरूआती हजार दिनों और किशोरावस्था में बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान रखने की अहमियत के बारे में बताया।
स्कूलों के पास जंक फूड पर रोक का आह्वान
कार्यक्रम में आईसीएमआर की वैज्ञानिक प्रियंका बंसल ने एनीमिया और कुपोषण को लेकर की जा रही रिसर्च के बारे में जानकारी दी और बिहार व तेलंगाना से आए प्रतिनिधियों ने अपनी स्कूल आधारित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया। पोषण कार्यक्रमों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून से जोड़ने की बात हुई। स्कूलों के 500 मीटर के दायरे में जंक फूड के स्टॉल प्रतिबंधित करने जैसे कड़े नियम लागू करने का आह्वान किया गया। इस दौरान प्रदेश के आठ करोड़ स्कूली बच्चों के पोषण एवं बेहतर स्वास्थ्य के लिए मजबूत वातावरण तैयार करने पर विचार-विमर्श किया गया।
बच्चों में मोटापे की समस्या बनी चुनौती
यूनिसेफ द्वारा हाल ही में जारी की गई चाइल्ड न्यूट्रिशन ग्लोबल रिपोर्ट 2025, के अनुसार मोटापे ने पहली बार वैश्विक स्तर पर स्कूली स्तर के आयु वर्ग के बच्चों और किशोरों में कम वजन की दर को पीछे छोड़ दिया है। आज दुनिया भर में हर दस में से एक बच्चा, यानी 18.8 करोड़ बच्चों में मोटापा हैं। एक समय में जिस मोटापे को सम्पन्नता की निशानी माना जाता था, वही अब बीमारी बन चुका है। जो, निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में भी तेजी से फैल रहा है, जिसमें भारत भी शामिल है।
ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स से डॉ. संजय निरंजन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक बाल स्वास्थ्य, आरबीएसके, आरकेएसके, मानसिक स्वास्थ्य, यूनिसेफ बिहार टीम से डॉ. संदीप, यूनिसेफ हैदराबाद से गौरी, एमडीएम उत्तर प्रदेश से तरुणा, नीलम, समीर, हिफजुर, एमडीएम बिहार से डॉ. प्रियंका, जावेद, सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि आदि शामिल रहे।
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