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Health News : लोहिया संस्थान में पहली बार डीबीएस सर्जरी, पार्किंसन मरीज को मिली राहत

लोहिया संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर पार्किंसन मरीजों को राहत देने में सफलता पाई है। संस्थान में पहली बार डीन ब्रेन स्टिमुलेशन डीबीएस सर्जरी से पार्किंसन मरीज को राहत दी गई है।

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Deepak Yadav
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बुजुर्ग मरीज के साथ ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर Photograph: (RML)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस) में पार्किंसन के गंभीर मरीजों की सर्जरी शुरू हो गई है। न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर पार्किंसन मरीजों को राहत देने में सफलता पाई है। संस्थान में पहली बार डीन ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) सर्जरी से पार्किंसन मरीज को राहत दी गई है।

पार्किंसन बीमारी से जूझ रहा था बुजुर्ग

लखनऊ निवासी 68 वर्षीय बुजुर्ग लंबे समय से पार्किंसन बीमारी से जूझ रहे थे। इससे बुजुर्ग को चलने में दिक्कत हो रही थी। शरीर में जकड़न और कंपन की समस्या बढ़ती जा रही थी। कई अस्पतालों में इलाज कराने पर भी राहत नहीं मिली। परिजन उन्हें लेकर लोहिया संस्थान के न्यूरोलॉजी विभाग पहुंचे। यहां डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ व डॉ. अब्दुल कवि ने उनका इलाज शुरू किया। 

डॉक्टरों ने दी ऑपरेशन कराने की सलाह 

मरीज को दवाओं से फायदा नहीं मिलने पर डॉक्टरों ने ऑपरेशन का ​फैसला किया। परिजनों की सहमति के बाद बुजुर्ग को न्यूरो सर्जरी विभाग में शिफ्ट किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक सिंह ने मरीज की जरूरी जांचें कराई। जांच के आधार पर डीबीएस विधि से ऑपरेशन करने की सलाह दी। 

दो चरणों में हुई सर्जरी

डॉ. दीपक ने बताया कि डीबीएस विधि में ऐसे मरीज के दिमाग के विशेष हिस्से में इलेक्ट्रोड प्रत्यारोपित किए जाते हैं। सर्जरी के लिए मुंबई के डीबीएस विशेषज्ञ डॉ. नरेन नाइक का सहयोग लिया गया। दो चरणों में ऑपरेशन का फैसला किया गया। चार अक्टूबर को पहली डीबीएस सर्जरी की गई। 

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कोशिकाओं को नहीं होता है नुकसान 

डॉ. सिंह ने बताया कि इसमें ब्रेन मैपिंग की गई। फिर महीन तार की तरह इलेक्ट्रोड दिमाग में ऑपरेशन कर प्रत्यारोपित किए गए। यह एक सुरक्षित और ऑपरेशन की प्रभावी प्रक्रिया है। जो आधुनिक न्यूरो-नेविगेशन तकनीक की सहायता से न्यूनतम जोखिम के साथ की जाती है। उन्होंने बताया कि जिन मरीजों में दवाएं असर नहीं करतीं, उन्हें इस प्रक्रिया से राहत मिल सकती है। यह तकनीक दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचाती है। 

दूसरे ऑपरेशन में बैटरी प्रत्यारोपित

दूसरे ऑपरेशन में मरीज के सीने के पास खास तरह की बैटरी प्रत्यारोपित की गई। यह दिमाग को हल्के विद्युत संकेत भेजता है। ये संकेत मस्तिष्क में असामान्य तंत्रिका गतिविधि को काबू में करते हैं। जिससे मरीज के कंपन, जकड़न और चलने में कठिनाई जैसी समस्याओं में सुधार होता है। 

मरीज बिना सहारे चलने में सक्षम

डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने बताया कि सर्जरी के बाद मंगलवार को मरीज के डिवाइस को प्रोग्राम किया गया। इलेक्ट्रोड सेटिंग्स को ठीक किया गया। जिसके बाद उनके कंपन में बेहद कमी आई। वे बिना सहारे चलने में सक्षम हो गए। यह सफलता उन सभी मरीजों के लिए आशा की नई किरण है, जो लंबे समय से पार्किंसन रोग से ग्रस्त हैं। 

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Health News |  RML 

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