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एसजीपीजीआई में पांच मिनट में बदला वॉल्व Photograph: (google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में हृदय रोगियों की सर्जरी में आधुनिक पर्सीवल तकनीक बेहद कारगर साबित हो रही है। इस तकीनक से महज पांच मिनट में एओर्टिक वॉल्व बदलने में सफलता हासिल हुई है। पर्सीवल तकनीक में बिना टांका लगाए मामूली चीरा लगाकर वॉल्व बदला जाता है। संस्थान में सीवीटीएस विभाग की प्रोफेसर डॉ. वरुणा वर्मा ने इस आधुनिक तकनीक से सफलतापूर्वक सर्जरी को अंजाम दिया।
मरीज की हालत स्थिर
डॉ. वरुणा वर्मा ने बताया कि बिहार के चंपारण निवासी 70 वर्षीय मरीज को सांस फूलने और सीने में दर्द की शिकायत रहती थी। जांच में एओर्टिक वॉल्व खराब होने की पुष्टि हुई। जिसके बाद सर्जरी का फैसला किया गया। सभी जरूरी जांचे कराने के बाद मरीज की सर्जरी कर वॉल्व प्रत्यारोपित किया गया। उन्होंने बताया कि पर्सीवल तकनीक से वॉल्व में 30 मिनट के मुकाबलेसिर्फ पांच मिनट का समय ही लगा। मरीज की हालत स्थिर है। विशेष निगरानी में मरीज को आईसीयू में रखा गया है।
पर्सीवल वॉल्व बायोप्रोस्थेटिक का एक प्रकार
डॉ. वर्मा ने बताया कि सामान्यत: 60 वर्ष से कम आयु वाले मरीज को धातु का वॉल्व लगाया जाता है। इससे अधिक उम्र के मरीज में बायोप्रोस्थेटिक वॉल्व प्रत्यारोपित किया जाता है। इसे जैविक वॉल्व भी कहा जाता है। इसे जानवरों के ऊतकों या मानव दाता से प्राप्त ऊतकों से बनाया जाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें रोगी को खून पतला करने वाली दवाएं कम या नहीं खानी होती हैं। पर्सीवल वॉल्व भी बायोप्रोस्थेटिक का एक प्रकार है।
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