Advertisment

इसरो के वैज्ञानिकों ने यूपी के कुशीनगर में पहली बार किया रॉकेट परीक्षण

यह पहली बार था जब यूपी में इसरो का रॉकेट परीक्षण हुआ। रॉकेट ने शाम 5:14:33 बजे उड़ान भरी और जमीन से 1.1 किलोमीटर की दूरी तय की। परीक्षण सफल रहा।

author-image
Anupam Singh
कक

कुशीनगर में लांचिंग के लिए तैयार रॉकेट और मौजूद लोग।

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी के कुशीनगर जिले में शनिवार को एक खास घटना हुई। तमकुहीराज तहसील के जंगलीपट्टी गांव के पास इसरो के वैज्ञानिकों की मौजूदगी में थ्रस्ट टेक इंडिया लिमिटेड ने रॉकेट का परीक्षण किया। यह पहली बार था जब यूपी में इसरो का रॉकेट परीक्षण हुआ। रॉकेट ने शाम 5:14:33 बजे उड़ान भरी और जमीन से 1.1 किलोमीटर की दूरी तय की। परीक्षण सफल रहा और इससे पहले भी एक अभ्यास किया गया था। इससे पहले इस तरह का परीक्षण अहमदाबाद में समुद्री क्षेत्र में किया गया था। यह घटना क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और नई तकनीक के क्षेत्र में यूपी का कदम माना जा रहा है।

Advertisment

इसरो के वैज्ञानिक अभिषेक सिंह ने बताया कि तमकुही क्षेत्र में शाम 5:14:33 बजे पहला रॉकेट छोड़ा गया। यह रॉकेट 1.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया। उसके बाद एक छोटा उपग्रह बाहर आया। जैसे ही वह 5 मीटर नीचे गिरा। उसका पैराशूट खुल गया और उपग्रह 400 मीटर के अंदर धरती पर आ गया। रॉकेट भी पैराशूट से धीरे-धीरे नीचे आया। इसका वजन 15 किलो था जिसमें 2.26 किलो ईंधन था। लांच के समय 2.6 सेकंड तक ईंधन जला गया, जिससे रॉकेट उपग्रह को ऊपर ले गया। यह परीक्षण भारत की रॉकेट बनाने की क्षमता को दिखाता है। इसरो की टीम ने फरवरी में जिले का दौरा किया और इस स्थान का चयन किया। 

अक्टूबर से नवंबर के मध्य होगा सैटेलाइट परीक्षण

अक्टूबर से नवंबर के बीच, लगभग नौ सौ युवा वैज्ञानिकों की ओर से बनाए गए सैटेलाइट का परीक्षण किया जाएगा। यह परीक्षण इसरो की देखरेख में होगा। यह आयोजन इन-स्पेस मॉडल रॉकेट्री, कैनसैट इंडिया छात्र प्रतियोगिता 2024-25 के नाम से जाना जाता है। इसे एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई), भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस), इसरो, और अन्य संघों के सहयोग से कराया जा रहा है। इसका मकसद छात्रों में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति रुचि बढ़ाना है। प्रतियोगिता में देश भर के कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्र भाग लेंगे। इसमें वे 1000 मीटर ऊंचाई पर मॉडल रॉकेट और कैन आकार के उपग्रह का डिज़ाइन, निर्माण, और प्रक्षेपण करेंगे। तमकुही राज तहसील के जंगली इलाके में इस परीक्षण का सफल आयोजन हुआ। यह कदम युवा वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका देता है।

Advertisment

थ्रस्ट टेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने कैनसैट प्रक्षेपण के लिए चुना गया है। कंपनी का परीक्षण भी किया गया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके मोटर सही से काम कर रहे हैं। निदेशक विनोद कुमार ने बताया कि प्री-लांचिंग में चार राकेट का इस्तेमाल दो दिनों में किया जाएगा। इसरो की टीम ने निर्णय लिया है कि लांचिंग का जिम्मा अब थ्रस्ट टेक इंडिया की टीम को सौंपा जाएगा। यह आयोजन पूरे भारत में बच्चों में स्पेस टेक्नोलॉजी के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।

वैज्ञानिकों ने अहमदाबाद में पहली बार रॉकेट से सैटेलाइट भेजने का परीक्षण किया। यह रॉकेट से सैटेलाइट भेजने का पहला मौका था। परीक्षण पूरी तरह सफल रहा और सैटेलाइट भी सही तरीके से लॉन्च हुई। इसरो स्पेस के निदेशक विनोद कुमार और अन्य वैज्ञानिकों ने इस सफलता का निरीक्षण किया। इस प्रयास से भारत की स्पेस तकनीक में नई उपलब्धि जुड़ी है।

यह भी पढ़ें- अमौसी एयरपोर्ट के प्रतिबंधित क्षेत्र में खुली हैं मीट की दुकानें, विमानों की उड़ान पर मंडरा रहा खतरा

Advertisment

यह भी पढ़ें- ऊर्जा मंत्री के बयान से कर्मचारी नाराज, निजीकरण के विरोध में बिजली महापंचायत की तैयारी

यह भी पढ़ें : BJP नेता पशुपतिनाथ हत्याकांड : अदालत ने 16 दोषियों को सुनाई उम्रकैद की सजा

Lucknow lucknow latest news lucknowcity
Advertisment
Advertisment