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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश सरकार की बहुप्रचारित जल जीवन मिशन अब ग्रामीणों की प्यास बुझाने की बजाय अधिकारियों और ठेकेदारों की जेब भरने का जरिया बनती जा रही है। योजना का उद्देश्य था हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाना, मगर हकीकत यह है कि योजना "प्याऊ" नहीं, "खाऊ" योजना में तब्दील हो चुकी है।
भ्रष्टाचार की पोल खोलती रिपोर्ट
जल शक्ति मंत्रालय के अधीन नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के तहत चलाई जा रही इस योजना में भ्रष्टाचार अब किसी से छुपा नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले चार वर्षों में 183 अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा चुकी है फिर भी गुणवत्ता की अनदेखी लगातार जारी है। 183 अधिकारी यह वह हैं, जो भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाए गए।
बड़ा सवाल: क्या कार्रवाई सिर्फ दिखावा?
इतने घोटालों के बाद भी सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई या सार्वजनिक जवाब सामने नहीं आया है। सवाल उठता है कि जब कार्रवाई के बावजूद हालात नहीं सुधर रहे तो क्या यह सिर्फ कागजी खानापूर्ति बनकर रह गई है?यहां बता दें कि जल जीवन मिशन, जिसका सपना था हर घर को नल से जल, अब हर गांव में घटिया टंकियों का डर बन गया है। अगर समय रहते जवाबदेही, पारदर्शिता और स्थानीय निगरानी नहीं लाई गई, तो यह योजना जल्द ही घोटालों की गंगा में विलीन हो जाएगी।
जब गिरी पांच करोड़ लागत की पानी टंकी
सीतापुर जिले के महमूदाबाद तहसील के ग्राम सभा चुनका में जल जीवन मिशन के तहत बनी पांच करोड़ की लागत से बनी एक पानी की टंकी पिछले दिनों अचानक भरभरा कर गिर गई थी। यह टंकी महज एक वर्ष पहले बनाई गई थी और उस समय पूरी तरह पानी से भरी हुई थी। गिरने से हजारों लीटर पानी बह गया, जिससे इलाके में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए।गांव वालों ने बताया कि टंकी के गिरने से बच्चों, महिलाओं और किसानों को भारी परेशानी उठानी पड़ी। खेतों में पानी भर गया और सड़कों पर कीचड़ फैल गया। इस पर अधिकारियों ने जेई स्तर के अभियंता के खिलाफ कार्रवाई करके अपना पल्ला झाड़ लिया। जबकि कार्यवाहक अधिशासी अभियंता राजीव कुमार के खिलाफ अनुशासनिक जांच शुरू की गई, जिसमे कुछ नहीं हुआ।
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भ्रष्टाचार का भार नहीं सह पा रहीं पानी की टंकियां : अखिलेश
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी सरकार को घेरा और तीखा तंज कसा। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के नाम पर जो टंकियां बन रही हैं, वह भाजपाइयों के भ्रष्टाचार का भार नहीं सह पा रहीं। उनका यह बयान गिरती टंकियों के साथ डगमगाते सरकारी दावों की सच्चाई को रेखांकित करता है।
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