/young-bharat-news/media/media_files/2025/11/06/electricity-privatisation-2025-11-06-19-40-07.jpeg)
Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में बिजली की नई दरें तय करने में विलंब के बीच राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश सरकार और विद्युत नियामक आयोग से उपभोक्ताओं को राहत देने की मांग की है। परिषद का कहना है कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ रुपये बकाया है। ऐसे में बिजली दरें बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। इस साल भी 4000 करोड़ से अधिक बकाया निकलना तय है। इस आधार पर अगले पांच साल तक बिजली दरों में 8 प्रतिशत की कटौती की जाए। क्योंकि एक साथ 40 प्रतिशत बिजली दरों में कमी पावर कॉरपोरेशन वहन नहीं कर पाएगा।
बिहार मॉडल कर दिया उदाहरण
परिषद ने बिहार मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा कि 1 अगस्त 2025 से 1.67 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली फ्री दी रही है। ऐसे में प्रदेश में बिजली दरों में कमी करके उपभोक्ताओं को बकाया का लाभ दिया जाए। परिषद ने कहा कि हाल ही में प्रदेश सरकार ने घरेलू और कमर्शियल उपभोक्ताओं को मूलधन में 25 प्रतिशत तक की छूट दी है। नियमित बिल जमा करने वाले उपभोक्ताओं को भी दरों में कमी करके राहत दी जाए।
धारा 108 के तहत बिजली दरों में कमी की जाए
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत नियामक आयोग को निर्देश जारी करे कि राज्य के 3.61 करोड़ उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी की जाए। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डालने के बजाय सरप्लस से दरों में कटौती की जाए।
Electricity Rates In UP | UPRVUP
यह भी पढ़ें- निजीकरण और बिजली संशोधन बिल के खिलाफ कर्मचारी लामबंद, देशव्यापी आंदोलन की रणनीति तैयार
निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी संग किसान-मजदूर हुए लामबंद, दिल्ली में होगा देशव्यापी आंदोलन का ऐलान
यह भी पढ़ें-निजीकरण और विद्युत संशोधन विधेयक के खिलाफ जंतर-मंतर पर गरजेंगे बिजली कर्मचारी
/young-bharat-news/media/agency_attachments/2024/12/20/2024-12-20t064021612z-ybn-logo-young-bharat.jpeg)
Follow Us