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माटीकला महोत्सव में सजा परंपरा और नवचार का संसार Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। खादी भवन में चल रहे माटीकला महोत्सव में परंपरा और नवाचार के संगम का संसार सजा है। यहां प्रदर्शित माटीकला उत्पादों में शिल्प कला की पारंपरिक तकनीकों के साथ आधुनिक डिजाइन की झलक दिखाई देती है। यह महोत्सव शिल्पकारों को अपना हुनर और कला के नए आयाम से लोगों को रूबरू कराने का मंच है। प्रदेश भर के कारीगरों को उनकी कार्यकुशलता और व्यवसाय को बढ़ाने के लिए विद्युत चालित, पगमिल और लाभार्थियों को बैंकों से स्वीकृत ऋण के चेक वितरित वितरित किए गए हैं। गोरखपुर के दुकानदार दिलीप प्रजापति ने कहा कि माटी कला महोत्सव जैसे आयोजनों से उन्हें शिल्पकारों को व्यवसाय बढ़ाने और कला को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
50 दुकानों में सजे मिट्टी के आकर्षक उत्पाद
राजधानी में 19 अक्टूबर तक चलने वाले 10 दिवसीय माटीकला महोत्सव का उद्घाटन प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी, हथकरघा एवं वस्त्र मंत्री राकेश सचान ने शुक्रवार को किया। इसमें विभिन्न जनपदों से आए कारीगरों की 50 निःशुल्क दुकानें लगाई गई हैं। इसमें पारंपरिक और आधुनिक माटीकला उत्पाद आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। माटीकला बोर्ड की ओर से विकसित माटीकला पोर्टल और ई-वेरिफिकेशन मोबाइल एप की भी सौगात दी गई है। बता दें कि माटीकला के अन्तर्गत निर्मित वस्तुओं को बढ़ावा देने और परम्परागत उद्योगों को नवाचार के जरिए संरक्षित करते हुए अधिकाधिक कारीगरों को रोजगार से जोड़ने के लिए 19 जुलाई, 2018 को माटीकला बोर्ड की स्थापना की गई थी।
48 हजार से ज्यादा कारीगरों की पहचान
माटीकला बोर्ड के महाप्रबंधक शिशिर बताते हैं कि प्रदेश में माटी का इस्तेमाल करके मूर्तियां, खिलौने, बर्तन और अन्य घरेलू व कलात्मक वस्तुएं बनाने का प्रचलन सदियों से रहा है। आज भी बहुत सारे माटीकला शिल्पकार इस परम्परागत काम में लगे हुए हैं। माटीकला बोर्ड की स्थापना के बाद से अभी तक 48,048 कारीगर परिवारों की पहचान की जा चुकी है और 37,190 कारीगरों को मिट्टी निकालने के लिए पट्टा दिया गया है। बोर्ड ने अभी तक 15,932 विद्युत चालित चाक और 375 पगमिल मशीनें वितरित की हैं। इस वित्तीय वर्ष में 2,500 चाक और 300 पगमिल वितरण का लक्ष्य है। इसके साथ ही 603 जोड़ी पीओपी डाई, 31 पेंटिंग मशीनें और 81 दीया मशीनें कारीगरों को दी गई हैं।
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