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यूपी में 55 हजार छात्राएं बनी एक दिन की अफसर Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। मिशन शक्ति के पांचवें चरण के तीसरे दिन बेटियों ने प्रशासनिक दायित्व संभालकर आत्मविश्वास और नेतृत्व की एक नई इबारत लिखी। मंगलवार को महानिदेशक स्कूल शिक्षा के दफ्तर में कुछ अलग ही माहौल था। जहां आमतौर पर अनुभवी अफसर अपने निर्णयों से शिक्षा व्यवस्था को दिशा देते हैं, वहीं आज उनकी कुर्सियों पर परिषदीय विद्यालयों की बालिकाएं बैठी नजर आईं।
प्रदेश के सभी जनपदों में संभाला अलग-अलग दायित्व
बता दें कि 20 सितम्बर को महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलम्बन के लिए शुरू हुए मिशन शक्ति विशेष अभियान के पांचवे चरण के क्रम में नवरात्रि के अवसर पर 10 दिवसीय अलग-अलग थीम पर आधारित विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें मंगलवार को समस्त प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, कम्पोजिट विद्यालय तथा केजीबीवी में विद्यालय, विकास खण्ड, तहसील, जिला तथा मण्डल स्तर पर बालिकाओं को प्रमुख पदों पर एक दिन आसीन करते हुये एक्सपोजर दिया गया।
इन बालिकाओं ने संभाला महत्वपूर्ण दायित्व
उच्च प्राथमिक विद्यालय (1-8) 35वीं पीएसी बटालियन महानगर जोन तीन की कक्षा सात की छात्रा लकी सिंह ने डीजी मोनिका रानी के पद का दायित्व संभाला। वहीं यूपीएस गुलाम हुसैन पुरवा जोन दो नगर की कक्षा आठ की छात्रा कुमारी नैना ने शिक्षा निदेशक, बेसिक शिक्षा का दायित्व ग्रहण कर विभागीय कार्यों को गति दी।
कक्षा सात की नैंसी बनी वरिष्ठ विशेषज्ञ
इनके अलावा सातवीं की छात्रा कुमारी नैनसी ने वरिष्ठ विशेषज्ञ, गुणवत्ता शिक्षा, आठवीं की छात्रा कुमारी अनुष्का ने निदेशक, एससीईआरटी, कक्षा आठ की छात्रा इकरा शरीफ ने उप शिक्षा निदेशक प्राइमरी, यूपीएस खड़गपुर की कक्षा सात की छात्रा कुमारी रोशनी ने उप शिक्षा निदेशक/वरिष्ठ विशेषज्ञ, बालिका शिक्षा यूनिट, कक्षा आठ की छात्र कुमारी लकी सिंह ने वित्त नियंत्रक और कक्षा आठ की छात्रा नंदिनी और कम्पोजिट विद्यालय, मटियारी की कक्षा सात की दिव्यांग छात्रा फातिमा बानो ने अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा का दायित्व संभाला।
लाईव क्लास रूम जैसा था ऑफिस नजारा
ऑफिस का नजारा किसी लाइव क्लास रूम जैसा था। बालिकाएं पूरी गंभीरता से फाइलें देख रही थीं, कामकाज समझ रही थीं और अफसरों की तरह दिशा-निर्देश भी दे रही थीं। दायित्व संभालने वाली लकी सिंह ने कहा कि मैं भविष्य में आईएएस अधिकारी बनना चाहती हूं। मेरा सपना है कि बालिकाओं के उत्थान के लिए ठोस योजनाएँ बनाऊं और उन्हें देश की सशक्त नागरिक के रूप में देख सकूं।
बालिकाओं ने किया सभी ऑफिस का निरीक्षण
कार्यभार संभालने वाली सभी छात्राओं ने परियोजना कार्यालय समेत विभिन्न यूनिट्स का निरीक्षण किया, अधिकारियों से कार्य पद्धति को समझा और अपनी भूमिका में पूरी तरह डूबी हुई नज़र आईं। यह अनुभव उनके आत्मविश्वास को और मजबूत कर गया।
दिव्यांग छात्रा ने संभाला इस अधिकारी का दायित्व
पूरे प्रदेश की बात करे तो 55 हजार से अधिक बालिकाएं आज जनपदों में अलग-अलग पदों यथा पंचायत सचिव, ग्राम प्रधान, हेड टीचर, वार्डेन, पुलिस, इंजीनियर, डॉक्टर, बेसिक शिक्षा अधिकारी, खण्ड शिक्षा अधिकारी, बीडीओ, एसडीएम, सीडीओ, डीएम आदि पदों पर एक दिन के अधिकारी के रूप में आसीन होकर कार्यभार संभाला।
आत्मबल और क्षमता का विकास
महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने कहा कि मिशन शक्ति 5.0 का यह आयोजन न केवल बालिकाओं के भीतर नेतृत्व क्षमता और आत्मबल जगाने का माध्यम बना, बल्कि यह संदेश भी दे गया कि बेटियां जब अवसर पाती हैं तो बड़े से बड़ा दायित्व निभाने में सक्षम हैं।
मिशन शक्ति 5.0 : यूपी में 55 हजार छात्राएं बनी एक दिन की अधिकारी, देखी फाइलें और दिए निर्देश https://t.co/B5Ww8yHcMSpic.twitter.com/b6ilM6fYTG
— Deepak Yadav (@deepakhslko) September 23, 2025
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