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निजीकरण से राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता UPPTCL हो जाएगी खत्म, Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने दावा किया कि स्टेट ट्रांसमिशन कंपनी ऑफ द ईयर का अवार्ड मिलने के बावजूद निजीकरण से यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी का अस्तित्व ही खतरे में है। ट्रांसमिशन में निजीकरण को न रोका गया तो कंपनी कुछ ही वर्षों में समाप्त हो जाएगी। इसकी श्रेष्ठता इतिहास की बात हो जाएगी। समिति ने मुख्यमंत्री से मांग की कि राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने के बाद प्रदेश की सभी ट्रांसमिशन की परियोजनाएं यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी को ही प्रदान की जाए।
टीबीसीबी बन्द कर करने की मांग
संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ट्रांसमिशन के क्षेत्र में जबरदस्ती थोपे गए टैरिफ बेस्ड कंपीटीटिव बिडिंग (टीबीसीबी) के कारण नई बनने वाली ट्रांसमिशन की सभी परियोजनाएं, सब स्टेशन और लाइनें निजी क्षेत्र में जा रही है। उन्होंने बताया कि एक समय उत्तर प्रदेश ट्रांसमिशन के क्षेत्र में देश का सबसे अग्रणी प्रान्त था। देश में सबसे पहले 400 केवी और 765 केवी ट्रांसमिशन के सब स्टेशन और लाइन बनाने और संचालन करने का कार्य उत्तर प्रदेश ने हीं किया।
अदाणी को मिल रहे बड़े प्रोजेक्ट
अब यही यूपी ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन, जिसे स्टेट ट्रांसमिशन कंपनी ऑफ द ईयर का अवार्ड मिला है। 220 केवी और ऊपर की क्षमता का एक भी सबस्टेशन या लाइन नहीं बना सकता, क्योंकि यह निर्णय है कि 220 केवी और इससे अधिक क्षमता के सब स्टेशन और लाइनें टैरिफ बेस्ड कॉम्पिटेटिव बिडिंग के नाम पर बनाई जाएगी। स्वाभाविक है कि जब यूपी ट्रांस्को से 220 केवी और ऊपर का ट्रांसमिशन का कार्य छीन लिया गया है तो यह सारा काम या तो पावर ग्रिड के पास जा रहा है या निजी क्षेत्र में मुख्यतः अदाणी ट्रांस्को के पास जा रहा है। इसके अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये से अधिक की 132 केवी की ट्रांसमिशन परियोजनाओं का कार्य भी टीबीसीबी के नाम पर निजी घरानों के पास ही जा रहा है।
निजी घरानों के ट्रांसमिशन चार्जेज काफी अधिक
समिति ने कहा कि उत्तर प्रदेश का ट्रांसमिशन का नेटवर्क देश का सबसे बड़ा ट्रांसमिशन का नेटवर्क है लेकिन टीबीसीबी के चलते अब उप्र के ट्रांसमिशन नेटवर्क का बहुत बड़ा भाग निजी घरानों के पास है। निजी घरानों के ट्रांसमिशन चार्जेज काफी अधिक हैं। समिति ने कहा कि प्रदेश में बिजली उत्पादन की दो तिहाई से ज्यादा की आपूर्ति निजी क्षेत्र से होती है। ट्रांसमिशन में भी बड़े पैमाने पर निजी क्षेत्र के आने से निजी क्षेत्र से मिलने वाली महंगी बिजली पर निजी घरानों को ट्रांसमिशन चार्जेज भी अधिक देने पड़ रहे हैं। इससे सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे प्रदेश की जनता को मिलने वाली बिजली की कीमत बढ़ जाती है।
निजी घरानों के नियंत्रण में उप्र ट्रांसमिशन का नेटवर्क
उत्तर प्रदेश में नई बनने वाली ताप बिजली परियोजनाओं मुख्यतया 1980 मेगावॉट की घाटमपुर, 1320 मेगावॉट की मेजा, 1320 मेगावॉट की बारा और 1320 मेगावॉट की खुर्जा तापीय परियोजनाओं से उत्पन्न होने वाली बिजली के निष्कासन के लिए बनने वाली ट्रांसमिशन लाइन और सब स्टेशन सब निजी क्षेत्र मुख्यत: अदाणी ट्रांस्को के पास हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम की नई बनी ताप बिजली परियोजनाओं ओबरा सी और जवाहरपुर से निकलने वाली पॉवर ट्रांसमिशन लाइन भी अदानी ट्रांस्को और पॉवर ग्रिड के पास हैं। यह गंभीर चिंता की बात है कि उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी देश में श्रेष्ठतम होते हुए भी उप्र का ट्रांसमिशन का सारा नेटवर्क निजी घरानों के नियंत्रण में जा रहा है। इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए।
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