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निजीकरण के विरोध में 27 नवंबर को देशव्यापी प्रदर्शन, सड़क पर उतरेंगे 27 लाख कर्मचारी

यूपी में बिजली निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के एक साल पूरा होने पर 27 नवंबर को कर्मचारी राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे। देश भर के 27 लाख कर्मचारी राज्य के कार्मियों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग उठाएंगे।

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Deepak Yadav
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निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करते बिजली कर्मचारी Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में बिजली निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के एक साल पूरा होने पर 27 नवंबर को  कर्मचारी राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे। देश भर के 27 लाख कर्मचारी राज्य के कार्मियों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग उठाएंगे। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर यह विरोध प्रदर्शन होगा। 

यूपी में कर्मचारी करेंगे आवाज बुलंद

विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में पिछले एक साल से चल रहे संघर्ष को राष्ट्रव्यापी समर्थन मिल रहा है। कई बार देशभर के बिजली कर्मियों ने उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों के समर्थन में प्रदर्शन और हड़ताल की है। राज्य के बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता 27 नवंबर को सभी जनपदों में जोरदार विरोध प्रदर्शन करेंगे।

25 नवंबर लिया गया था निजीकरण का फैसला

संगठन के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि 25 नवंबर 2024 को पावर कॉरपोरेशन ने निजीकरण का फैसला किया था। इसके बाद समिति की 27 नवंबर को बैठक हुई और तब से आंदोलन चल रहा है। इस संघर्ष में किसानों और उपभोक्ताओं का सम​र्थन मिलता रहा है।

11 जून को सर्वाधिक बिजली आपूर्ति रिकॉर्ड

दुबे ने कहा कि कर्मचारी पिछले एक साल से रोजाना सड़क पर उतरकर संघर्ष के साथ उपभोक्ताओं की समस्याओं का भी निस्तारण कर रहे है। भीषण गर्मी के दौरान बिजली कर्मियों ने 11 जून को 31486 मेगावाट आपूर्ति कर देश में सर्वाधिक बिजली आपूर्ति का रिकॉर्ड भी बनाया था। उन्होंने बताया कि समिति के आह्वान पर आज आंदोलन के 359वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश भर में प्रदर्शन जारी रखा।

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