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अनपरा ई-ओबरा डी ज्वाइंट वेंचर के ढाई साल बाद शुरू नहीं, उत्पादन निगम को परियोजनाएं सौंपने की मांग

विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति ने अनपरा ई और ओबरा डी परियोजनाओं का जॉइंट वेंचर समाप्त कर उन्हें उत्पादन निगम को सौंपने की सीएम से मांग की है।

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Deepak Yadav
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अनपरा ई परियोजना Photograph: (Google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में हर साल बिजली की मांग बढ़ रही है। गर्मी के मौसम में अधिकतम डिमांड का रिकॉर्ड भी टूट जाता है। ऐसे में विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति ने अनपरा ई और ओबरा डी परियोजनाओं का जॉइंट वेंचर समाप्त कर उन्हें उत्पादन निगम को सौंपने की सीएम से मांग की है। इसके पीछे समिति ने तर्क दिया कि जॉइंट वेंचर अनुबंध होने के 28 महीने बाद भी परियोजनाओं का काम शुरू नहीं हुआ है। उत्पादन निगम की तुलना में जॉइंट वेंचर में इन परियोजनाओं को बनाने में बिजली कम से कम 40 से 50 पैसे प्रति यूनिट महंगी पड़ेगी।

जुलाई 2023 में कैबिनेट का ज्वाइंट वेंचर फैसला

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि यूपी कैबिनेट ने जुलाई 2023 में 2×800 मेगावॉट क्षमता की अनपरा ई और 2×800 मेगावॉट क्षमता की ओबरा डी परियोजनाओं को ज्वाइंट वेंचर में मेजा थर्मल प्राइवेट कंपनी को देने का फैसला लिया था। उन्होंने बताया कि विद्युत उत्पादन निगम और मेजा थर्मल के साथ ओबरा डी परियोजना का ज्वाइंट वेंचर अनुबंध सितंबर 2023 और अनपरा ई परियोजना का अनुबंध अप्रैल 2024 में हुआ था। लेकिन अभी तक कोई काम नहीं शुरू हुआ है। अनुबंध के तहत ओबरा डी परियोजना की लागत 17985 करोड़ रुपये और अनपरा ई परियोजना की लागत 18624 करोड़ रुपये रखी गई है। 

ढाई साल बाद भी काम शुरू नहीं

दुबे ने बताया कि अनुबंध होने के ढाई साल बाद भी इन परियोजनाओं पर कोई काम नहीं शुरू हुआ है। तय अवधि 50 माह में परियोजनाओं के पूरा न होने से प्रदेश को बिजली नहीं मिल पायेगी। दुबे ने बताया कि ओबरा और अनपरा परियोजनाएं उत्पादन निगम के पास है। यह परियोजनाएं किसी दूसरी कंपनी को जॉइंट वेंचर में देने से तमाम तकनीकी दिक्कतें पैदा होंगी। इसी कारण से जॉइंट वेंचर में काम नहीं शुरू पा रहा है। ऐसी स्थिति में इन परियोजनाओं को तत्काल उत्पादन निगम को दिया जाना चाहिए।

निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन जारी

संयोजक ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में आज लगातार 356 वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश भर में समस्त जनपदों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन। कर्मचारियों ने संकल्प किया कि जब तक निजीकरण का फैसला निरस्त नहीं किया जाता, आंदोलन जारी रहेगा।

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