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डीजीपी राजीव कृष्ण।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी क्राइम इन इंडिया 2023 रिपोर्ट ने उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सकारात्मक तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार, देश का औसत अपराध दर (क्राइम रेट) प्रति एक लाख जनसंख्या पर 270.3 दर्ज हुआ है, जबकि उत्तर प्रदेश का क्राइम रेट 181.3 है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में अपराध दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, क्राइम रेट किसी भी राज्य में अपराध की वास्तविक स्थिति का सबसे विश्वसनीय संकेतक माना जाता है, क्योंकि यह अपराधों को राज्य की जनसंख्या के अनुपात में दर्शाता है। बड़े भूभाग और अधिक आबादी के बावजूद उत्तर प्रदेश में अपराध दर का कम रहना, राज्य की सुदृढ़ कानून-व्यवस्था और सक्रिय पुलिसिंग का प्रमाण है।
गंभीर अपराधों में आयी उल्लेखनीय कमी
NCRB रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में गंभीर अपराधों की श्रेणी में उत्तर प्रदेश ने बेहतर प्रदर्शन किया।
हत्या के मामलों में यूपी का क्राइम रेट 1.4 रहा, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.0 है।
हत्या के प्रयास के मामलों में भी यूपी की दर 1.4, जो राष्ट्रीय औसत 4.1 से काफी कम है।
लूट के मामलों में यूपी की दर 0.6, जो राष्ट्रीय औसत 1.9 का मात्र एक-तिहाई है।
डकैती के मामलों में यूपी का क्राइम रेट लगभग शून्य (Near Zero) के बराबर है।
फिरौती हेतु अपहरण जैसे अपराधों में यूपी देश के सबसे कम अपराध दर वाले राज्यों में शुमार है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि हत्या, लूट, डकैती और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों पर नियंत्रण में राज्य ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में भी कमी
रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की दर भी यूपी में राष्ट्रीय औसत से नीचे रही।
महिलाओं के खिलाफ कुल अपराधों में यूपी की दर 58.6, जबकि राष्ट्रीय औसत 66.2 है।
दुष्कर्म के मामलों में यूपी की दर 3.1, जो राष्ट्रीय औसत 4.4 से कम है।
पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों में यूपी की दर 10.2, जबकि राष्ट्रीय औसत 15.2 है।
इसी तरह, बच्चों के विरुद्ध अपराधों के मामलों में भी उत्तर प्रदेश की स्थिति बेहतर रही।
बच्चों के खिलाफ अपराधों की दर यूपी में 22.1, जबकि राष्ट्रीय औसत 39.9 दर्ज की गई।
यह सुधार राज्य में मिशन शक्ति अभियान और बाल सुरक्षा के लिए पुलिस तथा प्रशासन द्वारा चलाई गई विशेष पहलों का परिणाम माना जा रहा है।
अन्य अपराधों में भी लगा नियंत्रण
बलवा, नकबजनी और शील भंग जैसे अपराधों में भी उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे रहा।
बलवा के मामलों में यूपी का क्राइम रेट 1.3, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.8 है।
नकबजनी के मामलों में यूपी की दर 2.9, जो राष्ट्रीय औसत 7.7 से कम है।
शील भंग की घटनाओं में भी यूपी का क्राइम रेट 8.3, जो राष्ट्रीय औसत 12.4 से कम है।
अपराध पर अंकुश लगाने में तकनीकी साधनों की रही अहम भूमिका
डीजीपी राजीव कृष्ण का कहना है कि NCRB की रिपोर्ट बताती है कि उत्तर प्रदेश में अपराध दर में यह गिरावट संयोग नहीं बल्कि कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए उठाए गए ठोस कदमों का परिणाम है।पिछले वर्षों में अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया और तकनीकी साधनों के उपयोग ने अपराध पर अंकुश लगाने में अहम भूमिका निभाई है। मिशन शक्ति अभियान, विशेष महिला हेल्पलाइन, साइबर अपराध नियंत्रण उपाय और थानों में बेहतर कार्यप्रणाली ने भी सकारात्मक असर डाला है।
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