Advertisment

ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के नाम निजीकरण का विरोध, उपभोक्ता परिषद ने उठाई यूपीएसईबी बहाल करने की मांग

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सीएजी रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए सरकार से मांग की कि प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों को एक करते हुए राज्य विद्युत परिषद को पुन: बहाल किया जाए।

author-image
Deepak Yadav
electricity privatisation up

ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के नाम निजीकरण का विरोध Photograph: (google)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के नाम पर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के फैसले का राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विरोध किया है। परिषद का कहना है कि बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद (यूपीएसईबी) को बहाल करना बेहद जरूरी है। सीएजी की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि यूपीएसईबी के विघटन से बिजली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर घाटा लगातार बढ़ता चला गया।

वर्ष 2000 में यूपीएसईबी का विघटन

परिषद के मुताबिक, वर्ष 2000 में यूपीएसईबी को भंग उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का गठन किया गया। फिर बिजली क्षेत्र में सुधार के नाम पर पावर कारपोरेशन को चार वितरण कंपनियों में बांटा गया। इसके बाद बाद 31 मार्च 2004 को भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने प्रदेश में विद्युत क्षेत्र सुधारों की समीक्षा करके अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। 

यूपीएसईबी भंग करने से बढ़ा घाटा

रिपोर्ट में सामने आया कि राज्य विद्युत परिषद का विघटन, निगमीकरण, पुनर्गठन के साथ थर्मल और जल विद्युत उत्पादन कंपनियों को अलग-अलग करने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ। उल्टा बड़े पैमाने पर घाटा बढ़ गया, ट्रांसमिशन-वितरण हानियां बढ़ीं और उपभोक्ता सेवा में सुधार के बजाय कुप्रबंधन के मामले उजागर हुए। ऐसे में बिजली कंपनियों को दोबारा निजीकरण के माध्यम से निजी घरानों को बेचना प्रदेश की जनता के साथ धोखा है।

सभी ऊर्जा निगमों का हो एकीकरण

परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सीएजी रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए सरकार से मांग की कि प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों को एक करते हुए राज्य विद्युत परिषद को पुन: बहाल किया जाए। ऐसे करने से निश्चित तौर पर ऊर्जा क्षेत्र में सुधार होगा। और प्रदेश की बिजली कंपनियां आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेगी।

Advertisment

 पैतृक सम्पत्ति बेचना न्याय संगत नहीं

वर्मा ने कहा कि प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों और पावर कारपोरेशन के अधीन लगभग 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये की संपत्तियां हैं। इनमें अधिकतर राज्य विद्युत परिषद की संपत्ति है। ऐसे में सरकार अपने अधीन 51 प्रतिशत शेयर मानकर उसे सरकारी कंपनी स्वीकार करते हुए निजी घरानों को बेचना न्याय संगत नहीं है। राज्य विद्युत परिषद 1959 में गठित हुआ था। उसको बहाल करने से देश के ऊर्जा क्षेत्र में एक नई ऊर्जा क्रांति आएगी। 

Electricity Privatisation | UPRVUP

यह भी पढ़ें- आगे बढ़ी निजीकरण प्रक्रिया : बिजली कर्मी बिफरे, टेंडर पर कार्य बहिष्कार, जेल

यह भी पढ़ें- लिफाफा लेने वाले एसडीएम हटाए गए, डीएम ने एडीएम को सौंपी जांच

Advertisment

यह भी पढ़ें- शुभांशु शुक्ला का लखनऊ में गर्मजोशी से होगा स्वागत, ग्रुप कैप्टन इस दिन आ सकते हैं गृह जनपद

यह भी पढ़ें- निजीकरण मसौदे की मंजूरी को नियामक आयोग जाएंगे आला अफसर, उपभोक्ता परिषद ने भी कसी कमर

Electricity Privatisation UPRVUP
Advertisment
Advertisment