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लखनऊ हाई कोर्ट Photograph: (Social Media)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की दो सदस्यीय खंडपीठ ने प्रदेश के चार सरकारी मेडिकल कॉलेज में नए सिरे से काउंसलिंग किए जाने के आदेश पर रोक लगा दी है। हालांकि न्यायालय ने 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिये जाने के विरुद्ध एकल पीठ के फैसले को सही माना है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश देते हुए कहा कि एक सप्ताह में शपथ पत्र दें कि अगले सत्र से 50 फीसद की आरक्षण सीमा को लांघा नहीं जाएगा।
79 प्रतिशत आरक्षण पर विवाद
न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने दो सितंबर को राज्य सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील पर दो सितंबर को सुनवाई पूरी करने के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया था। मेडिकल कॉलेजों में 79 प्रतिशत से अधिक सीटें आरक्षित हो गई थीं। इसके खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने नए सिरे से काउंसलिंग कराने का फैसला सुनाया था।
82 रिक्त सीटों पर समायोजन का आदेश
न्यायालय ने आदेश दिया कि एससी-एसटी वर्ग के जिन छात्रों को आरक्षण की सीमा से बाहर जाकर अम्बेडकर नगर, कन्नौज, जालौन व सहारनपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले दिए गए हैं, उन्हें इस वर्ग के लिए दूसरे सरकारी मेडिकल कोलेजों में अभी तक रिक्त चल रहे, 82 सीटों पर समायोजित किया जाएगा। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि सरकार अगले सत्र से 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा को न पार करने सम्बन्धी शपथ पत्र नहीं देती, तो यह अंतरिम आदेश लागू नहीं होगा।
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