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उपभोक्ता परिषद ने निजीकरण पर सरकार से पूछे पांच गंभीर सवाल Photograph: (google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को लेकर जोर आजमाइश जारी है। इस बीच राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रस्तावित निजीकरण पर आपत्ति जताते हुए पांच गंभीर सवाल उठाए हैं। परिषद ने कहा कि निजीकरण के बाद बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का बकाया, किसानों को मुफ्त बिजली और सब्सिडी समेत पांचों अहम मुद्दों पर सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
निजीकरण के बाद सरप्लस की वापसी कौन करेगा?
परिषद के मुताबिक, प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस है। इसमें दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम में ही लगभग 16 हजार करोड़ निकलेगा। सरकार से सवाल किया कि निजीकरण के बाद सरप्लस की वापसी कौन करेगा? क्या निजी कंपनियां किसानों को मुफ्त बिजली देंगी? क्या सरकार इन निजी कंपनियों को सब्सिडी देगी? क्या निजी कंपनियां पांच साल तक बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी? इस पर सरकार को स्पष्ट जवाब देना चाहिए।
टोरेंट ने 2,200 करोड़ दबाए
संगठन के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि दक्षिणांचल से 24,947 करोड़ और पूर्वांचल डिस्कॉम से 40,962 करोड़ मिलाकर कुल 65,909 करोड़ पावर कारपोरेशन को उपभोक्ताओं से वसूलने हैं। उन्होंने पूछा कि इन कंपनियों का निजीकरण होने पर यह रकम वसूलकर किसे दी जाएगी? उन्होंने याद दिलाया कि निजी कंपनी टोरेंट पावर ने उपभोक्ताओं से वसूले गए लगभग 2,200 करोड़ रुपये पावर कारपोरेशन को अभी तक नहीं लौटाए हैं।
सरकार से की सार्वजनिक बहस की मांग
वर्मा ने कहा कि निजीकरण के खिलाफ एक ठोस डिस्कॉम सुधार योजना प्रस्तुत करने को परिषद तैयार है। आरोप लगाया कि कई बार सुझाव देने के बावजूद पावर कारपोरेशन चुप्पी साधे है। उन्होंने सरकार से मांग की कि निष्पक्ष हाई लेवल कमेटी का गठन कर परिषद और पावर कारपोरेशन के बीच सार्वजनिक बहस करवाई जाए। इसमें सिद्ध हो जाएगा कि निजीकरण उपभोक्ताओं के हित में नहीं है।
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