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अरबों खर्च कर बिजली कंपनियों का निजीकरण औचित्यहीन, संघर्ष समिति ने कहा- ठंडे बस्ते में डाली जाए वर्टिकल व्यवस्था

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आरडीएसएस योजना और बिजनेस प्लान के तहत पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के लिए अरबों रुपये की योजनाएं स्वीकृत होने के बाद भी उन्हें निजी हाथों में देने को औचित्यहीन करार दिया है।

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Deepak Yadav
protest against electricity privatisation

निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करते बिजली कर्मचारी Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आरडीएसएस योजना और बिजनेस प्लान के तहत पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के लिए अरबों रुपये की योजनाएं स्वीकृत होने के बाद भी उन्हें निजी हाथों में देने को औचित्यहीन करार दिया है। समिति ने लखनऊ समेत कई जिलों में वर्टिकल व्यवस्था से हजारों पद समाप्त किए जाने का भी कड़ा विरोध किया है।

सुधार पर 16.43 अरब होंगे खर्च 

समिति के अनुसार, पावर कॉरपोरेशन ने हाल ही में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के लिए 824.65 करोड़ रुपये और दक्षिणांचल डिस्कॉम में 819 करोड़ रुपये का बिजनेस प्लान स्वीकृत किया है। इसके तहत दोनों ऊर्जा निगमों में बिजली व्यवस्था में सुधार कार्य किया जाना है। ऐसे में इन निगमों में 16.43 अरब रुपए खर्च किए जाएंगे। 

अरबों रुपये किए जा रहे खर्च, फिर निजीकरण क्यों

इसी तरह केन्द्र की आरडीएसएस योजना के तहत पूर्वांचल और दक्षिणांचल​ डिस्कॉम के​ लिए 7089 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। इसमें पीयूवीवीएनएल के लिए 3842 करोड़ और दक्षिणांचल डीवीवीएलन में 3247 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। आरडीएसएस योजना और बिजनेस प्लान में दोनों बिजली कंपनियों के लिए कुल 8732 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके बावजूद इन निगमों को निजी घरानों को सौंपा जा रहा है। 

एक लाख करोड़ परिसंपत्तियां, रिजर्व प्राइस सिर्फ 6500 करोड़

पदाधिकारियों ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन ने निजीकरण के लिए तैयार किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट में इन बिजली निगमों को बेचने की रिजर्व प्राइस मात्र 6500 करोड़ पर रखी है। जबकि इनकी परिसंपत्तियों लगभग एक लाख करोड़ रुपये की हैं। दोनों बिजली कंपनियों को बेचने के लिए जो रिजर्व प्राइस रखी गई है, उससे अधिक धनराशि इनके सुधार में खर्च की जा रही है। यह कौन सा रिफॉर्म है, जिसमें सरकारी धन से सुधार कर इसे निजी घरानों को कौड़ियों के मोल बेचा जा रहा है?

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वर्टिकल व्यवस्था ठंडे बस्ते में डाले पावर कॉरपोरेशन

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि लेसा, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, सहारनपुर में वर्टिकल व्यवस्था से बड़े पैमाने पर पदों को समाप्त किए जाने का विरोध जारी रहेगा। अच्छा होगा कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दे। उन्होंने बताया कि बिजली कर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ आज लगातार 337वें दिन प्रदेश भर में प्रदर्शन किया।

Electricity Privatisation | VKSSSUP | vertical system

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