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बिजली दरों पर सुनवाई में फूटा उपभोक्ताओं का गुस्सा, टोरेंट पावर का अनुबंध रद्द करने की मांग

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने जनसुनवाई में उपभोक्ताओं का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सर प्लस है। ऐसे में बिजली दरें बढ़ने के बजाय 45 प्रतिशत कम होनी चाहिए।

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Deepak Yadav
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बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी को लेकर जनसुनवाई Photograph: (YBN)

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लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेट (डीवीवीएनल) की बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी को लेकर मंगलवार को आगरा में राजा बलवंत सिंह डिग्री कॉलेज सभागार में हुई जनसुनवाई काफी हंगामेदार रही। इस दौरान उपभोक्ताओं और किसानों ने टोरेंट पावर के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। किसानों ने आरोप लगाया कि निजी कंपनी उपभोक्ताओं का शोषण कर रही है। उन्होंने टोरेंट पावर के साथ किया गया अनुबंध तत्काल समाप्त करने की मांग की। साथ ही बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव वापस लेने और निजीकरण का फैसला तत्काल निरस्त करने की मांग उठाई।

टोरेंट का अनुबंध भ्रष्टाचार की नींव पर टिका 

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने जनसुनवाई में उपभोक्ताओं का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सर प्लस है। ऐसे में बिजली दरें बढ़ने के बजाय 45 प्रतिशत कम होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि टोरेंट पावर को साल 2016-17 तक विद्युत वितरण क्षेत्र की लाइन हानि (एटीएंडसी लॉसेस) को कम करके 15 प्रतिशत तक लाना था। लेकिन इसकी समीक्षा और आडिट नहीं हुई। जिससे कंपनी मनमाने तरीक से बिजली के बिल भेजे रही है। बिजली चोरी के मामलों में समझौते, कनेक्शन शुल्क का गलत एस्टीमेट बनाने के साथ किसानों को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि टोरेंट का अनुबंध भ्रष्टाचार की नींव पर टिका है। इसे तत्काल समाप्त किया जाए।

हर महीने 101 करोड़ की बिजली चोरी

अवधेश वर्मा ने कहा कि डीवीवीएनएल हर साल 33948 मिलियन यूनिट बिजली खरीदता है। इसमें से करीब 6 प्रतिशत बिजली चोरी होती है। हर माह 101 करोड़ की चोरी हो रही है। सरकार बिजली चोरी पर अंकुश लगाने में विफल रही है। इससे सालाना लगभग 1221 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि निगम में विद्युत दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में भी इजाफा हुआ है। वर्ष 2019-20 में 134 लोगों की जन गई थी। जबकि 2021-22 में लगभग 212 तक पहुंच गई। उपभोक्ता परिषद में 1912 पर ओटीपी व्यवस्था लागू होनी चाहिए। जब तक उपभोक्ता संतुष्ट न हो उसकी शिकायत का निस्तारण नहीं किया जाना चाहिए।

बिजली कंपनियों का मालिक होने का दावा झूठा

परिषद अध्यक्ष ने कहा कि सरकार सभी बिजली कंपनियों का मालिक होने का दावा करती है। जबकि कंपनियों की बैलेंस शीट में उसकी ज्यादातर संपत्ति राज्य विद्युत परिषद से विरासत में मिलने का जिक्र है। विद्युत परिषद ऑटोनॉमस बॉडी बॉडी था। इसलिए सरकार विरासत में मिली सम्प​त्ति की मालिक नहीं हो सकती। ऐसे में बिजली कंपनियों की मालिक बनकर सरकार निजीकरण नहीं कर सकती। इस पर नियामक को गंभीरता से विचार करना होगा। 

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टोरेंट मुनाफा कमाने के लिए कर रहा घोटाला 

उन्होंने कहा कि परिषद के प्रस्ताव पर तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के निर्देश पर सरकार ने टोरेंट पावर की जांचके लिए की तीन सदस्यीय समिति बनाई थी। समिति की जांच में टोरेंट पावर दोषी पाया गया था। उसकी रिपोर्ट भी तैयार हुई लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। टोरेंट पावर ने करीब 2300 करोड़ रुपये बकाया वसूलकर पावर कारपोरेशन को नहीं दिए। टोरेंट भारी मुनाफा कमाने के लिए घोटाले कर रहा है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

Electricity Privatisation | Avadhesh Verma | Electricity Rates

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