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Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों के निजीकरण (Electricity Privatisation) से संबंधित एनर्जी टास्क फोर्स के फैसलों पर सवाल उठाए हैं। परिषद का आरोप है कि सलाहकार कंपनी को कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट यानी हितों के टकराव में ढील देकर सलाहकार नियुक्ति किया गया। इसी कंपनी ने निजीकरण का मसौदा तैयार किया, जो अब विवादों में है। संगठन ने मुख्यमंत्री से इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
एनर्जी टास्क फोर्स पर सवाल
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के मसौदे में गंभीर कमियां उजागर होने से ऊर्जा विभाग में घमासान मचा है। इससे साफ हो गया कि दाल में कुछ काला है। उन्होंने कहा कि निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाला ग्रांट थॉर्नटन कंपनी पर अमेरिका में 40 हजार डॉलर का जुर्माना लगा था। इसके बावजूद एनर्जी टास्क फोर्स ने उसके तैयार किए गए निजीकरण के मसौदे का आगे बढ़ाया।
निजीकरण का फैसला लिया जाए वापस
​परिषद अध्यक्ष ने कहा कि आज ऊर्जा मंत्री कार्यालय से एक्स पर किए गए लंबे-चौड़े पोस्ट किया गया से स्पष्ट हो गया कि निजीकरण का पूरा फैसला मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई टास्क फोर्स ले रही है। उसके तहत ही सारी कार्रवाई हो रही है। वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी, आगरा, केस्को कानपुर, मेरठ, नोएडा पावर कंपनी में बिजली दरों की सुनवाई में उद्योगपति, किसान, बुनकर और कार्मिक शमिल हुए थे। इन सभी ने निजीकरण का विरोध किया। ऐसे में प्रदेश सरकार को सभी के हितों के लिए निजीकरण का फैसला वापस लेना चाहिए।
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