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यूपी बिजली विभाग में घमासान : ऊर्जा मंत्री AK Sharma ने लिखा- अराजकतत्व मुझे बदनाम करने की रच रहे साजिश

पोस्ट में दावा किया गया है कि ऊर्जा मंत्री एके शर्मा को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। इसमें सीधे तौर पर कुछ बिजली कर्मी नेताओं और अराजक तत्वों जिम्मेदार ठहराते हुए कहा गया कि ये वही लोग हैं, जिनकी वजह से बिजली विभाग की छवि खराब हो रही है।

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Deepak Yadav
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यूपी बिजली विभाग में घमासान Photograph: (यूपी बिजली विभाग में घमासान)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग इन दिनों अंदरूनी कलह चरम पर है। ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा लगातार विभागीय समीक्षा और कार्यक्रमों में अधिकारियों को कार्यशैली में सुधारने की सख्त चेतावनी दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर विभाग में विरोध के स्वर भी तेज होते जा रहे हैं। इस तनावपूर्ण माहौल के बीच एके शर्मा ऑफिस नाम के एक्स हैंडल से किया गया लंब-चौड़ा पोस्ट चर्चा में हैं। ऊर्जा मंत्री ने खुद इस पोस्ट को अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से भी रीपोस्ट किया है। जिससे इसकी प्रमाणिकता और भी बढ़ गई है।

ऊर्जा मंत्री को बदनाम करने की साजिश

इस पोस्ट में दावा किया गया है कि ऊर्जा मंत्री एके शर्मा को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। इसमें सीधे तौर पर कुछ बिजली कर्मी नेताओं और अराजक तत्वों जिम्मेदार ठहराते हुए कहा गया कि ये वही लोग हैं, जिनकी वजह से बिजली विभाग की छवि खराब हो रही है। अधिकारियों और कर्मियों के दिन-रात की मेहनत पर ये लोग पानी फेर रहे हैं। ये मंत्री की सख्ती और न झुकने से नाराज हैं, क्योंकि उनके पूर्व मंत्रियों की तरह एके शर्मा समझौता नहीं करते।

तीन साल में चार बार हड़ताल 

पोस्ट में आगे कहा गया है कि एके शर्मा के ऊर्जा मंत्री बनने के महज तीन दिन के भीतर पहली हड़ताल की तैयारी कर दी गई थी। उनके तीन साल के कार्यकाल में अब तक चार बार हड़ताल हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर को उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से रोका गया। पोस्ट में बताया कि कुछ दिन पहले इन तथाकथित अराजक तत्वों ने ऊर्जा मंत्री के सरकारी आवास पर जाकर निजीकरण के नाम पर छह घंटे तक प्रदर्शन किया और उनके व उनके परिवार के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया। पोस्ट में यह भी जिक्र है कि  प्रदर्शनक​रियों के प्रतिनिधियों को मंत्री ने पहले मिठाई खिलाई, पानी पिलाया और ढाई घंटे तक मिलने का समय दिया था।

निजीकरण को लेकर उठे सवाल

पोस्ट में निजीकरण को लेकर जारी विरोध पर तीखे सवाल किए गए। पोस्ट में पूछा गया कि जब 2010 में टोरेंट कंपनी को निजीकरण करके आगरा दिया गया, तब यूनियन के नेता चुप क्यों थे। ऊर्जा मंत्री एक जूनियर इंजीनियर का तबादला नहीं कर सकते, तो निजीकरण का बड़ा फैसला अकेले कैसे ले सकते हैं। यह पूरा निर्णय चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनाई गई टास्क फोर्स ले रही है। राज्य सरकार की उच्चस्तरीय अनुमति से ही औपचारिक शासनादेश जारी हुआ है। पोस्ट में आगे कहा गया कि ऊर्जा मंत्री से जलने वाले सभी लोग इकट्ठे हो गए हैं।

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Energy Minister A.K. Sharma 

Energy Minister A.K. Sharma
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