Advertisment

निजीकरण के घोटाले विधायकों के सामने उजागर करेगी संघर्ष समिति, ऊर्जा मंत्री के आरोपों को किया खारिज

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि ऊर्जा मंत्री ने समिति के साथ एक लिखित समझौता किया था। इसके तहत कार्मिकों पर हुई कार्रवाई वापस लेनी थी। समझौते पर अमल नहीं होने पर ऊर्जा मंत्री के आवास के बाहर प्रदर्शन किया गया था।

author-image
Deepak Yadav
bijli mahapanchayat

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति Photograph: (YBN)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बिजली विभाग की कमान मुख्यमंत्री को अपने हाथों में लेने की अपील के बाद कर्मचारी नेताओं और ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। ऊर्जा मंत्री ने कर्मचारी नेताओं पर मुफ्त विदेश यात्रा करने, टोरेंट कंपनी को निजीकरण के बाद आगरा सौंपने और उनके परिवार के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप लगाए हैं। इसके जवाब में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए विधानसभा सत्र से पहले निजीकरण से जुड़े कथित घोटाले सभी विधायकों के सामने रखने का एलान किया है। 

समझौते पर अमल नहीं

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि तीन दिसंबर 2022 और 19 मार्च 2023 को ऊर्जा मंत्री ने समिति के साथ एक लिखित समझौता किया था। इसके तहत कार्मिकों पर हुई कार्रवाई वापस लेनी थी। समझौते पर अमल नहीं होने पर ऊर्जा मंत्री के आवास के बाहर प्रदर्शन किया गया था। इसका वीडियो फुटेज ऊर्जा मंत्री और पुलिस के पास होगा। उन्होंने कहा कि बिजली कर्मी शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध दर्ज कर रहे थे। किसी ने उनके परिवार के प्रति किसी अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया। समिति गांधीवादी ढंग से सत्याग्रह आंदोलन करती है। 

विधायकों को घोटालों से कराएंगे अवगत

Advertisment

शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि दोनों डिस्कॉम की सम्पत्तियों और राजस्व क्षमका का मूल्यांकन किए बिना आरएफपी डॉक्यूमेंट में एक लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को बेचने की रिजर्व प्राइस मात्र 6500 करोड रुपये रख दी गई। समिति निजीकरण के पीछे हो रहे इन तमाम घोटालों को अगले 15 दिन तक विधायकों के सामने रखेगी। 

घाटे के झूठे आंकड़े के आधार पर निजीकरण

संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण घाटे के झूठे आंकड़े के आधार पर किया जा रहा है। पावर कारपोरेशन की ऑडिटेड बैलेंस शीट सभी विधायकों को भेजी जाएगी। इस बैलेंस शीट के माध्यम से स्पष्ट किया जाएगा कि सब्सिडी की धनराशि और सरकारी विभागों के बिजली राजस्व के बकाए की धनराशि जोड़कर घाटा दिखाया जा रहा है, जो निजीकरण की एक साजिश है। 

Advertisment

पब्लिक डोमेन में नहीं स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट

उन्होंने कहा कि जिस ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 को विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का आधार बनाया जा रहा है, वह पब्लिक डोमेन में नहीं है। विद्युत मंत्रालय ने बिडिंग डॉक्यूमेंट को अभी तक राज्य सरकार और राज्यों के विद्युत वितरण निगमों को न तो सर्कुलेट किया है और न ही इस पर कोई आपत्ति मांगी है। ऐसे में लाखों करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को आधार मानकर कैसे बेचा जा सकता है?

बिजली कर्मियों का प्रदर्शन जारी

Advertisment

संघर्ष समिति के आह्वान पर बिजली कर्मियों ने प्रदेश भर में समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन जारी रखा। कर्मिकों ने कहा कि बिजली के निजीकरण और उत्पीड़न के विरोध में तब तक संघर्ष जारी रहेगा जब तक यह वापस नहीं लिया जाता।

यह भी पढ़ें- जून में बिजली कार्मियों को 'नमन' अब 'दमन' : ऊर्जा मंत्री की चुप्पी क्यों बनी विस्फोटक, परिषद ने किया खुलासा

यह भी पढ़ें निजीकरण के ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट की लीगल वैधता नहीं, उपभोक्ता परिषद ने की CBI जांच की मांग

यह भी पढ़ें- UP में खराब बिजली व्यवस्था पर Akhilesh Yadav का योगी सरकार पर तंज, कहा- मंत्री और अधिकारियों के तार टूटे

यह भी पढ़ें- Education News : बीबीएयू में पांच अगस्त से 'राष्ट्र प्रथम' अभियान

Electricity Privatisation | Vkssup

Electricity Privatisation
Advertisment
Advertisment