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वैज्ञानिक डॉ. जी. श्रीधर बोले- विज्ञान व तकनीक के विकास से बदली अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र की तस्वीर

केंद्रीय विद्युत-रासायनिक अनुसंधान संस्थान (सीईसीआरआई) कारिकुडी के वरिष्ठ प्रधानाचार्य वैज्ञानिक डॉ. जी. श्रीधर ने कहा कि देश में विज्ञान और तकनीक के तेजी से हो रहे विकास का असर हमारे अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में दिखाई देता है।

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Deepak Yadav
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बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय पहुंचे वैज्ञानिक डॉ. जी श्रीधर Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।केंद्रीय विद्युत-रासायनिक अनुसंधान संस्थान कारिकुडी के वरिष्ठ प्रधानाचार्य वैज्ञानिक डॉ. जी. श्रीधर ने सोमवार को बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में कहा कि देश में विज्ञान और तकनीक के तेजी से हो रहे विकास का असर हमारे अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में दिखाई देता है। इसरो के रॉकेट इंजनों में अब खास सेंसर लगाए जा रहे हैं, जो इंजन के अंदर प्रेशर और फ्यूल के बहाव को जांचते हैं। इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलती है कि रॉकेट सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं। इस तकनीक से रॉकेट को और सुरक्षित और भरोसेमंद बनाया जा सकता है। 

प्रलय मिसाइल का परीक्षण सफल

डॉ. श्रीधर  बीबीएयू में 'अंतरिक्ष और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए उच्च तापमान सामग्री पर आविष्कार, नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास' विषय पर आायोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि 150 से 500 किलोमीटर तक के निशाने को भेदने वाली रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की 'प्रलय' मिसाइल का हाल ही में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। इससे भारत की रक्षा क्षमता और भी मजबूत हुई है। इसी के साथ डॉ. श्रीधर ने हाई टेम्परेचर कोरोजन तकनीक का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इसका इस्तेमाल पावर प्लांट और इंजन के लिए किया जाता है। ताकि मशीनें लंबे समय तक चल सकें। 

मोल्टन सॉल्ट तकनीक से धातु शुद्धिकरण

इसी तरह मोल्टन सॉल्ट इलेक्ट्रोलिसिस तकनीक से धातुओं और दूसरे कीमती पदार्थों को शुद्ध किया जाता है। उन्होंने थर्मल बैरियर कोटिंग्स के बारे में भी बताया, जो मिसाइल और इंजन को ज्यादा गर्मी से बचाती हैं। साथ ही एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स और हाइड्रोजन फ्यूल से जुड़ी तकनीकें भी भारत को ग्रीन एनर्जी की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद कर रही हैं। वैज्ञानिक ने कहा कि इन सभी प्रयासों का मकसद यही है कि भारत विज्ञान और तकनीक में आत्मनिर्भर बने और आने वाले समय में दुनिया के बड़े देशों की बराबरी कर सके।

आविष्कार-नवाचार किसी भी देश की असली ताकत

बीबीएयू के चैयरपर्सन प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा कहा कि आविष्कार और नवाचार ही किसी भी देश की असली ताकत होते हैं। नया सोचने और नई चीजें बनाने से ही विज्ञान और तकनीक आगे बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे हमारे वैज्ञानिकों ने रॉकेट, मिसाइल, नई ऊर्जा तकनीकें और उन्नत मशीनें विकसित की हैं, वैसे ही छात्र भी अगर छोटी-छोटी चीजों में सुधार और नए आइडिया लाने की कोशिश करेंगे तो वह बड़े बदलाव ला सकते हैं। 

छात्रों को नवाचार के लिए किया प्रेरित

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प्रो. अरोड़ा ने युवाओं को प्रेरित किया कि वे सिर्फ पढ़ाई तक सीमित न रहें, बल्कि रिसर्च, प्रोजेक्ट्स और नये प्रयोगों में भी हिस्सा लें ताकि आने वाले समय में वे देश के लिए कुछ नया कर सकें और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दें। 

ये रहे मौजूद

संस्थान नवाचार परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. डीआर मोदी, प्रो. राम चन्द्रा, समन्वयक डॉ. जी. सुनील बाबू उपस्थित रहे। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। 

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