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स्मार्ट मीटर का खर्च बिजली कंपनियों पर पड़ेगा भारी Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिना सहमति के उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने पर आपत्ति जताते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया है। संगठन ने शुक्रवार को इस बाबत राज्य बिजली नियामक आयोग (UPERC) में कानूनी प्रस्ताव दाखिल किया। इसमें मीटर लगाने वाली कंपनियों पर बिजली अधिनियम 2003 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और इस व्यवस्था पर रोक लगाने की मांग की।
प्रीपेड मीटर अनिवार्य करना अधिनियम के खिलाफ
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 के तहत उपभोक्ताओं को पोस्ट और प्री पेमेंट, दोनों विकल्पों का चयन करने का अधिकार है। ऐसे में प्रीपेड मोड को अनिवार्य करना अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ है। चूंकि उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के अनुसार भुगतान मोड चुनने का अधिकार है। ऐसे में अधिनियम की व्यवस्था को कानूनी रूप से सभी को मनाना होगा।
स्मार्ट मीटरों में प्रीपेड फीचर पर सवाल
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या स्मार्ट मीटरों में प्रीपेड फीचर अनिवार्य करना, उन उपभोक्ताओं के लिए होना चाहिए जो इस विकल्प को चुनते हैं। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी चेताया कि उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाए जाने के लिए 16,112 करोड़ का अतिरिक्त खर्च अनुमानित है। जोकि राज्य के डिस्कॉम्स (बिजली वितरण कंपनियों) को आर्थिक रूप से भारी पड़ सकता है।
आयोग से हस्तक्षेप की अपील
वर्मा ने आयोग से अपील की कि इस मामले में उपभोक्ताओं के हित में हस्तक्षेप कर जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार को इस मामले को सौंपने की पहल की जाए। उन्होंने कहा कि प्रीपेड मीटर लगाना अनिवार्य किया जाना उपभोक्ताओं के संविधानिक अधिकारों और हितों के खिलाफ हो सकता है।
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