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सर्पदंश का कहर : देश में हर साल 49 हजार मौतें, यूपी में सबसे ज्यादा

कार्यशाल में फाउंडेशन फॉर पीपल-सेंट्रिक हेल्थ सिस्टम्स (एफपीएचएस) के संस्थापक निदेशक डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि जहरीले सांप के काटने पर झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़कर मरीज को समय से अस्पताल पहुंचाना बेहद जरूरी है।

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Deepak Yadav
Dr. RMLIMS

सर्पदंश से बचाव और उसके उचित इलाज पर कार्यशाला Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बरसात में सांप के काटने के मामले बढ़ जाते हैं। चूंकि बारिश का पानी उनके बिलों तक पहुंच जाता है। जिससे सांप अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं। फिर बारिश से बचाव के लिए घरों की ओर आने लगते हैं। ऐसे में जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। जहरीले सांप के काटने पर अगर व्यक्ति को समय से एंटी वेनम इंजेक्शन न मिला, तो उसकी कुछ ही मिनटों में मौत हो सकती है। चिंता की बात यह है कि देश में हर साल सांप के काटने से लगभग 49 हजार लोगों की जान चली जाती है। जिनमें सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में होती हैं। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में सोमवार को कार्यशाला में विशेषज्ञों ने सर्पदंश से बचाव और उसके उचित इलाज के प्रति जागरूक किया। 

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सांप काटने पर झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़ें

कार्यशाल में फाउंडेशन फॉर पीपल-सेंट्रिक हेल्थ सिस्टम्स (एफपीएचएस) के संस्थापक निदेशक डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि जहरीले सांप के काटने पर झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़कर मरीज को समय से अस्पताल पहुंचाना बेहद जरूरी है। एंटी-स्नेक वेनम सीरम (ASVS) समय से मिलने पर सर्पदंश से होने वाली मौतें पूरी तरह से रोकी जा सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में फैली भ्रांतियां और गलत प्राथमिक उपचार की जानकारी अक्सर समय पर इलाज में देरी करती है।

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अन्य जिलों में होंगी कार्यशालाएं

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संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ सीएम सिंह ने कहा कि यह पहल विभागीय समन्वय, वैज्ञानिक तरीकों से काम करने और समुदाय केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जिससे सर्पदंश रोकथाम में मदद मिलेगी। कार्यशाल ने उत्तर प्रदेश में सर्पदंश के इलाज और प्रबंधन के लिए एक मजबूत और संगठित रूपरेखा की नींव रखी गई। भविष्य में राज्य के अन्य जिलों में भी इसी तरह की कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।

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सर्पदंश रोकथाम, नियंत्रण और इलाज पर चर्चा

कार्यशालाओं में डॉक्टरों ने सर्पदंश रोकथाम, नियंत्रण और लिए इलाज से जुड़े चिकित्सा, नीतिगत और जागरूकता संबंधी मुद्दों पर चर्चा की। डॉ लहरिया ने राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों और राज्य स्तरीय रणनीतियों के विस्तार पर जो​र दिया। यूपी डीजीएमएच के संयुक्त निदेशक व राज्य नोडल अधिकारी डॉ. पंकज सक्सेना ने सर्पदंश से बचाव और प्रबंधन से जुड़े हालिया अपडेट साझा किए।

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