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महिला अपराधों की विवेचना में संवेदनशीलता बढ़ाने को लेकर महिला पुलिसकर्मियों का हुआ विशेष प्रशिक्षण

लखनऊ में महिला हेल्प डेस्क पर तैनात पुलिसकर्मियों के लिए यूनिसेफ के सहयोग से दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया, जिसमें संवेदनशीलता, व्यवहार परिवर्तन और कानूनी दक्षता जैसे पहलुओं पर विशेष बल दिया गया।

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Shishir Patel
Women Help Desk Training

महिला पुलिसकर्मियों से बात करते डीसीपी महिला अपराध कमलेश दीक्षित।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता । महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों के मामलों में प्राथमिक संपर्क बिंदु के रूप में कार्य करने वाले महिला हेल्प डेस्क की प्रभावशीलता बढ़ाने के उद्देश्य से लखनऊ कमिश्नरेट द्वारा समस्त महिला पुलिसकर्मियों के लिए द्विदिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण 2 व 4 अगस्त को रिजर्व पुलिस लाइन स्थित संगोष्ठी सदन में आयोजित हुआ, जिसमें यूनिसेफ का सहयोग रहा।पुलिस उपायुक्त (अपराध) कमलेश कुमार दीक्षित की अध्यक्षता में और सहायक पुलिस आयुक्त (महिला एवं अपराध) सौम्या पाण्डेय के नेतृत्व में संपन्न इस कार्यक्रम में महिला पुलिसकर्मियों को कानून के साथ-साथ मानवीय संवेदनशीलता, मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण और व्यवहारिक दक्षताओं से भी अवगत कराया गया।

प्रशिक्षण के मुख्य उद्देश्य रहे

संवेदनशीलता एवं सहानुभूति: पीड़ित महिलाओं और बच्चों की मानसिक स्थिति को समझते हुए, बिना पूर्वाग्रह के उनकी बात को सम्मानपूर्वक सुनना और मानवीय दृष्टिकोण से प्रतिक्रिया देना।

विश्वास निर्माण: ऐसा सुरक्षित वातावरण तैयार करना, जहां पीड़ित खुलकर अपनी बात कह सकें।

मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शन: आवश्यक होने पर उचित परामर्श सेवाओं से जोड़ने की क्षमता विकसित करना।

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कानूनी समझ: घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, यौन उत्पीड़न, विवाहेतर विवाद और पॉक्सो अधिनियम जैसे मामलों से जुड़े प्रक्रियात्मक व संवेदनशील पहलुओं को समझना।

प्रशिक्षकों में शामिल रहे विशेषज्ञ

रामायण यादव – निदेशक, विज्ञान फाउंडेशन

कुसलप्पा – निदेशक, सपोर्ट एंड रिहैबिलिटेशन इन फील्ड प्रोटेक्टिव हेल्थ ट्रस्ट, बेंगलुरु

निमिषा तिवारी – मनोवैज्ञानिक प्रैक्टिशनर एवं सामाजिक सुरक्षा प्रशिक्षक

रिजवाना परवीन – मंडलीय तकनीकी संसाधन व्यक्ति, EVAWCH, यूनिसेफ

प्रशिक्षण का व्यापक प्रभाव

कार्यशाला महिला पुलिसकर्मियों में संवेदनशीलता आधारित व्यावसायिक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रही। प्रशिक्षण से कर्मियों को मनो-सामाजिक पहलुओं, कानूनी प्रावधानों और व्यवहारिक समाधान की बेहतर समझ प्राप्त हुई, जिससे वे पीड़ितों से अधिक प्रभावी और सहायक तरीके से संवाद स्थापित कर सकें।

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Crime Lucknow
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