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नेपाल सीमा पर साइबर फ्रॉड के जरिए टेरर फंडिंग का पर्दाफाश, पाकिस्तान भेजे गए करोड़ों रुपये, पांच गिरफ्तार

बलरामपुर में साइबर अपराध और टेरर फंडिंग से जुड़े गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। दिल्ली से ऑपरेट हो रहे इस नेटवर्क ने पाकिस्तान के खातों में क्रिप्टो माध्यम से 8.15 करोड़ रुपये भेजे। पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर जांच शुरू कर दी है।

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Shishir Patel
Balrampur cyber terror funding

टेरर फंडिंग से जुड़े गिरोह का भंडाफोड़

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश के नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर जिले में साइबर अपराध और टेरर फंडिंग से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया है। पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का खुलासा करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो क्रिप्टोकरेंसी और म्यूल अकाउंट्स के जरिये पाकिस्तान के बैंक खातों में करीब 8.15 करोड़ रुपये भेज चुके थे।

अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का संचालन दिल्ली से

मुख्य आरोपी सस्पियर नामक शातिर साइबर अपराधी है, जो बिहार के नवादा जिले का रहने वाला है और दिल्ली के कापासेड़ा इलाके में बैठकर पूरे नेटवर्क को संचालित कर रहा था। पुलिस को सूचना मिली कि वह अपने साथियों को बचाने बलरामपुर पहुंचा है, जिसके बाद ललिया थाना क्षेत्र के कोडरी घाट पुल के पास से उसे दबोच लिया गया।गिरफ्तार अन्य आरोपियों में फर्रुखाबाद निवासी प्रदीप कुमार सिंह और बलरामपुर के सत्यदेव, लवकुश वर्मा व जय प्रकाश शामिल हैं। पुलिस जांच में यह सामने आया कि गिरोह ने करीब 200 बैंक खातों के यूपीआई बनाए और उन्हें टेरर फंडिंग व मनी लॉन्ड्रिंग के लिए प्रयोग किया।

पाकिस्तानी खातों में फंड ट्रांसफर

मुख्य आरोपी के मोबाइल से पाकिस्तान के दो बैंक खातों की जानकारी मिली है, जिनमें सितंबर 2024 से जुलाई 2025 के बीच 8.15 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। ये ट्रांजैक्शन पहले क्रिप्टोकरेंसी (बाइनेंस ऐप) के जरिये होते थे, फिर विदेशी बैंक खातों तक पहुंचाए जाते थे।गिरोह स्थानीय लोगों से 10,000 मासिक किराए पर बैंक खाते लेता था। प्रत्येक म्यूल अकाउंट में रोजाना 1 लाख रुपये डाले जाते थे, जिसे एटीएम से निकालकर विदेशी खातों में कैश डिपॉजिट मशीन या ऐप के जरिए भेजा जाता था। इस पूरे काम के बदले खाताधारकों को 15% कमीशन दिया जाता था।

विदेशी एप्स और एजेंसियां भी रडार पर

पुलिस के अनुसार, गिरोह ने चीनी और सिंगापुर आधारित ऐप्स का इस्तेमाल कर लेनदेन को अंजाम दिया। यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की जांच का विषय बन गया है और इसमें विदेशी एजेंसियों से भी संपर्क किया जा रहा है।एसपी विकास कुमार के अनुसार, आरोपी ने नई दिल्ली में खुद को बचाने के लिए इतना मजबूत नेटवर्क तैयार कर रखा था कि उस तक पहुंचना बेहद चुनौतीपूर्ण था।

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