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Crime News: चार साल की बच्ची से हैवानियत के मामले में अभी तक स्कूल प्रबंधक का दर्ज नहीं हो सका बयान

लखनऊ के इंदिरानगर स्थित किड्जी स्कूल में 4 वर्षीय मासूम बच्ची से वैन में हुए दुष्कर्म के मामले में पुलिस की जांच सवालों के घेरे में है। घटना के चार दिन बीत जाने के बावजूद न स्कूल प्रबंधक का बयान दर्ज हुआ है, न वैन की फॉरेंसिक जांच।

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Shishir Patel
Lucknow child abuse

इसी वैन में बच्ची के साथ चालक आरिफ ने की थी हैवानियत ।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता । राजधानी में इंदिरानगर के किड्जी स्कूल की मासूम बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म ने जहां पूरे शहर को झकझोर दिया, वहीं पुलिसिया सुस्ती और लापरवाह जांच ने व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। घटना को चार दिन ज्यादा बीत चुका है, लेकिन न तो स्कूल प्रबंधक का बयान दर्ज किया गया है और न ही घटनास्थल यानी बरामद वैन की फॉरेंसिक जांच हो सकी है। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि जब मामला एक मासूम की अस्मिता से जुड़ा है, तो कार्रवाई इतनी ढीली क्यों?। वहीं छात्रा की मां इंसाफ के लिए दर-दर भटक रही है। 

अभी वैन की फॉरेसिंग जांच होनी बाकी 

सूत्र बताते हैं कि पुलिस ने एफएसएल को वैन जांच के लिए सूचना जरूर दी है, लेकिन अब तक महज़ "सूचना दी गई" वाली कार्यशैली ही सामने आई है। सोमवार को टीम आने की "संभावना" जताई जा रही है, लेकिन ठोस कदम नदारद हैं।वही स्कूल प्रबंधक संदीप कुमार, जिनके जिम्मे बच्चों की सुरक्षा थी, आज तक न सिर्फ बयान देने से बचते रहे हैं बल्कि पुलिस भी उन्हें पूछताछ के लिए तलब करने में सुस्ती बरत रही है।थाना प्रभारी से जब स्थिति जाननी चाही गई तो उन्होंने विवेचना जारी है, कोई तथ्य उजागर नहीं किया जा सकता है। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या पुलिस केवल दिखावटी दुष्कर्म आरोपी वैन चालक की गिरफ्तारी करके अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त हो चुकी है?। इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बच्ची की मां जब शिकायत लेकर स्कूल पहुंचीं, तो आरोपी चालक ने उन्हें धमकाया, और प्रबंधक ने भी चुप रहने के लिए बोला था। 

चार साल की बच्ची के साथ 14 जुलाई को हुआ था दुष्कर्म 

इंदिरानगर स्थित किड्जी स्कूल के वैन चालक इंदिरानगर लवकुशनगर निवासी मो. आरिफ ने 14 जुलाई को वैन में चार साल की बच्ची से दुष्कर्म किया था। घर पहुंचकर बच्ची ने सारी बात मां को बताई थी। वह शिकायत लेकर स्कूल पहुंची तो चालक मो. आरिफ ने उनको धमकाया। पीड़िता ने प्रबंधक को बताया तो उन्होंने मामले को देखने की बात कही, पर कुछ नहीं किया। 17 जुलाई को बच्ची की मां ने आरोपी वैन चालक व स्कूल प्रबंधक के खिलाफ इंदिरानगर थाने में केस दर्ज कराया था। पुलिस ने चौबीस घंटे के अंदर आरोपी वैन चालक को गिरफ्तार करते हुए घटना में इस्तेमाल की गई वैन बरामद कर ली थी।

जनिये क्या है दुष्कर्म पीड़िता मां की पूरी कहानी 

दुष्कर्म पीड़ित बच्ची की मां हरदोई की रहने वाली है। पति की लंबी बीमारी के चलते साल एक साल पहले मौत हो जाने के कारण वह बच्चों को लेकर लखनऊ चली आयी। ताकि बच्चे अच्छी शिक्षा दीक्षा पा सके। इसलिए बेटी का नाम नामी गिरामी स्कूल किड्जी में लिखवाया। बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्चा महिला के पिता उठा रहे है। महिला ने पुलिस को बताया कि वह पहले स्कूल बेटी को छोड़ने खुद जाती थी। चूंकि पति के मौत के बाद ही उन्हें जुड़वा बच्चे हुए। जिसकी वजह से उनकी देखभाल करने में दिक्कत आ रही थी तो स्कूल की वैन लगवा दी। वैन चलाने वाले का नाम मोहम्म्द आरिफ था। 

स्कूल प्रबंधन ने कहा- बदनामी होगी चुप रहो, बच्ची की फीस माफ कर देंगे 

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महिला ने अपने बयान में पुलिस काे बताया कि 14 जुलाई को जब उनकी बच्ची घर लौटी तो गुमशुम थी। शाम को सोते वक्त अपने प्राइवेट पार्ट की तरफ इशारा करते हुए बताया कि इसमें दर्द हो रहा है। वह तुरंत बच्ची को लेकर चिकित्सक के पास गई तो उन्होंने देखकर बताया कि बच्ची के साथ किसी ने गलत हरकत की है। दूसरे दिन वैन चालक आरिफ बच्ची को लेने पहुंचा तो उससे शिकायत की तो जान से मारने की धमकी देते हुए मुंह बंद रखने को कहा। इसके बाद वह स्कूल प्रबंधक के पास शिकायत करने गई तो वह भी बदनामी बात कहकर चुप रहने को कहा। कहां ड्राइवर को निकाल देंगे और बच्ची की फीस माफ कर देंगे लेकिन घटना के दो दिन बाद भी प्रबंधक ने कुछ नहीं किया। 

इस मामले में अभी तक केवल चालक पर ही हो पाई है कार्रवाई 

अंत में पीड़ित बच्ची की मां ने बताया कि जब सब तरफ से उसे न्याय की उम्मीद नहीं दिखी तो फिर पुलिस के पास पहुंची। अब जब पुलिस तक पूरा मामला पहुंच गए और पीड़ित बच्ची की मां की तहरीर पर मुकदमा आरोपी चालक आरिफ और प्रबंधक के खिलाफ दर्ज कर लिया गया तो फिर जांच इतनी धीमी क्यों। पुलिस ने चालक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है लेकिन प्रबंधक का अभी तक बयान तक नहीं दर्ज की है। जबकि बच्ची के साथ इस तरह की घटना से हर कोई स्कूली वाहन से अपने बच्चों को स्कूल भेजने में असुरक्षित महसूस करने लगा है। लोगों को कहना है कि ऐसे मामले को पुलिस को गंभीरता पूर्वक से लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि इस तरह की घटना की दोबारा से पुनरावृत्ति न हो।

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