Advertisment

पूर्वांचल-दक्षिणांचल​ डिस्कॉम का निजीकरण नहीं, सम्पत्तियों का हो रहा अध्ययन

परिषद ने कहा कि एनर्जी टास्क फोर्स की कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। टेंडर के दस्तावेज भी तैयार किए जा रहे हैं। अब पावर कारपोरेशन ने बिजली निगमों की सम्पत्तियों के अध्ययन का नया शिगूफा छोड़ा है। यह प्रदेश की जनता के साथ धोखा है। 

author-image
Deepak Yadav
electricity privatisation

पूर्वांचल-दक्षिणांचल​ डिस्कॉम का निजीकरण नहीं, सम्पत्तियों का हो रहा अध्ययन Photograph: (google)

  • पवार कारपोरेशन ने उपभोक्ता परिषद की विधिक आपत्तियों पर आयोग में दाखिल किया जवाब

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को लेकर जोर आइजमाइश तेज हो गई है। पावर कारपोरेशन  जहां हर हाल में प्रकिया को आगे बढ़ाने के लिए विद्युत नियामक आयोग से निजीकरण मसौदे को मंजूरी की कोशिश में जुटा है। वहीं राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद सरकार के फैसले के खिलाफ चट्टान की तरह खड़ा है। परिषद की ओर से नियामक आयोग में दाखिल विधिक आपत्तियों का पावर कारपोरेशन ने जवाब दिया है। पावर कारपोरेशन ने बताया है कि फिलहाल बिजली कंपनियों का निजीकरण नहीं किया जा रहा है। अभी प्रदेश सरकार ने सिर्फ सैद्धांतिक अनुमति दी है। इसी आधार पर सलाहकार कंपनी ग्रांट थानर्टन से निजीकरण को लेकर दोनों कंपनियों की सम्पत्तियों का अध्ययन कराया जा रहा है।

आयोग में गुपचुप जवाब दाखिल 

पावर कारपोरेशन के जवाब पर परिषद ने कहा कि बीते दिनों तत्कालीन मुख्य सचिव सहित आधा दर्जन आईएएस अफसर, पावर कारपोरेशन के अधिकारी और सलाहकार कंपनी निजीकरण मामले को लेकर भी नियामक आयोग में अध्ययन करने गए थे। पावर कारपोरेशन ने आपत्तियों का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। सिर्फ प्रस्ताव पर अध्ययन कराने की बात कही गई है।

सम्पत्तियों के अध्ययन का नया शिगूफा

परिषद ने कहा कि एनर्जी टास्क फोर्स की कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। टेंडर के दस्तावेज भी तैयार किए जा रहे हैं। अब पावर कारपोरेशन ने बिजली निगमों की सम्पत्तियों के अध्ययन का नया शिगूफा छोड़ा है। यह प्रदेश की जनता के साथ धोखा है। 

2014 में पावर कारपोरेशन दिया था यही जवाब 

Advertisment

परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि वर्ष 2014 में अखिलेश सरकार ने जब चार शहरों के निजीकरण का फैसला किया था और पूरा मामला अटक गया था, तब भी पावर कारपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग में यही जवाब दाखिल किया था अंततः उस समय निजीकरण का फैसला वापस ले लिया गया था। प्रदेश सरकार को तत्काल निजीकरण का फैसला वापस लेना चाहिए।

Electricity Privatisation | UPRVUP

यह भी पढ़ें- लखनऊ में फिन स्वीमिंग और तैराकी का संगम, 22 अगस्त से 555 पदकों के लिए होगी टक्कर

यह भी पढ़ें- UPSRTC : पितृपक्ष में वाराणसी से गया के लिए चलेगी विशेष बस

Advertisment

यह भी पढ़ें: यूपी में खाद संकट पर AAP का हल्ला बोल, 23 को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन

यह भी पढ़ें गोमतीनगर, पुरनिया और जानकीपुरम में आज रहेगा बिजली संकट

Electricity Privatisation
Advertisment
Advertisment