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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) ने पंचायत चुनाव में अकेले मैदान में उतरने का ऐलान किया है। इन तीनों दलों का प्रभाव राज्य के ओबीसी वर्ग में गहरा है, जिससे भाजपा की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है।
सुभासपा की तैयारियां तेज, वाराणसी बनेगा केंद्र
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी पंचायत चुनाव अकेले लड़ेगी। पार्टी ने इसके लिए वाराणसी को चुनावी केंद्र बनाते हुए 5 जुलाई को सारनाथ में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाने की घोषणा की है। इस बैठक में जिला स्तर पर प्रत्याशियों का चयन और 40 सेक्टरों में कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। सुभासपा के जिला अध्यक्ष उमेश राजभर ने बताया कि आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और उत्तर प्रदेश प्रभारी पतीराम राजभर एवं लल्लन राजभर की निगरानी में तैयारियां जोरों पर हैं। अगस्त महीने में ओमप्रकाश राजभर की कई चुनावी रैलियों की भी योजना है।
निषाद पार्टी की दोहरी रणनीति
योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने भी कहा है कि उनकी पार्टी पंचायत चुनाव अकेले लड़ेगी, मगर जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख जैसे पदों पर भाजपा का समर्थन जारी रहेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि पंचायत चुनाव में सभी समुदायों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए और उनकी पार्टी इस लक्ष्य को लेकर चुनाव लड़ेगी। संजय निषाद ने कहा कि हमारा मिशन है कि गांव का गरीब, युवा और शोषित वर्ग राजनीति में भागीदार बने। पंचायत चुनाव उसकी पहली सीढ़ी होती है।
अपना दल-एस ने भी बनाई दूरी
प्रयागराज में पत्रकारों से बात करते हुए अपना दल (एस) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि पार्टी अपने स्तर से पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी तक भाजपा या गठबंधन से इस मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हुई है। पार्टी ने बूथ स्तर पर कमेटियों को मजबूत करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
बीजेपी का डैमेज कंट्रोल: ओबीसी आयोग की घोषणा
इन घटनाक्रमों के बीच भाजपा ने ओबीसी आयोग के गठन की घोषणा कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है। जानकारों का मानना है कि यह कदम सहयोगी दलों को साधने और ओबीसी मतदाताओं को संदेश देने के लिए उठाया गया है।
बदलते दिख रहे हैं राजनीतिक समीकरण
उत्तर प्रदेश में 2026 में पंचायत चुनाव और 2027 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। ऐसे में ओबीसी आधारित एनडीए सहयोगी दलों का भाजपा से दूरी बनाना भविष्य के लिए बड़े राजनीतिक संकेत दे रहा है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक यह पंचायत चुनाव 2027 की तस्वीर का ट्रेलर साबित हो सकते हैं।
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