Advertisment

UP Electricity : असफल योजनाओं से बिजली कंपनियां डूबीं, अब घाटे के नाम पर निजीकरण की तैयारी

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों के घाटे के लिए केन्द्र और राज्य सरकार की असफल योजनाएं और गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।

author-image
Deepak Yadav
electricity privatisation

असफल योजनाओं से बिजली कंपनियां डूबीं Photograph: (Google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियों का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के उद्देश्य से राज्य विद्युत परिषद को भंग करके पावर कारपोरेशन और चार बिजली कंपनियां बनाने के लिए उठाया गया कदम गलत साबित हुआ। जब परिषद का विघटन हुआ था, तब घाटा महज 77 करोड़ था। बिजली कंपनियां बनने के बाद प्रबंधन अफसरशाही के हाथ में जाने से 24 साल में ही यह घाटा 1.10 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। अब एक बार फिर सुधार के नाम पर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जा रहा है। 

असफल योजनाओं से बढ़ा घाटा

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों के घाटे के लिए केन्द्र और राज्य सरकार की असफल योजनाएं और गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। इनमें उदय योजना, पावर फॉर ऑल, एफआरपी, सौभाग्य योजना और महंगी बिजली खरीद शामिल हैं। संगठन ने आरोप लगाया कि घाटे को अचानक सामने लाना निजी घरानों को लाभ पहुंचाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि 24 वर्षों के आंकड़ों ने साबित कर दिया कि राज्य विद्युत परिषद का विघटन गलत निर्णय था। 

निजीकरण पर सार्वजनिक सुनवाई की मांग

परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग से मांग की कि निजीकरण के मामले पर सार्वजनिक सुनवाई में सभी को अपनी बात रखने का मौका दिया जाए। इसमें परिषद यह साबित कर देगी कि निजीकरण का मसौदा भ्रष्टाचार का पुलिंदा है। प्रदेश की 42 जिलों की बिजली व्यवस्था निजी हाथों में सौंपने से जनता का नुकसान और औद्योगिक घरानों को फायदा होगा।

घाटे का विवरण (FRP और अन्य स्रोतों के अनुसार)

वर्ष                    घाटा (करोड़ में)

2000-01       -       77 
2005-06       -        5,439 
2007-08       -        13,162 
2009-10       -        20,104
2010-11       -        24,025 
जनवरी 2016 -        70,738 करोड़ (उदय अनुबन्ध)
2015-16       -       72,770 करोड़ (पावर फॉर ऑल)
वर्तमान          -     1,10,000 करोड़

Advertisment

उपभोक्ता परिषद की मांगें

  • विद्युत नियामक आयोग निजीकरण के प्रस्ताव पर फैसला लेने से जन सुनवाई जरूर करे।
  • निजीकरण से उपभोक्ताओं को क्या लाभ होगा,  नियामक आयोग को बताया जाए
  • नियागम आयोग सही तथ्यों के आधार पर निर्णय लें और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा सुनिश्चित करें।

 Electricity Privatisation | UPRVUP | Avadhesh Verma | uppcl

यह भी पढ़ें- सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के विरोध में छात्रों का एलयू में प्रदर्शन, रिहाई की उठाई मांग

यह भी पढ़ें- यूपी में नई बिजली दरें घोषित करने में क्यों हो रही देरी? पावर कारपोरेशन की चाल से उठा पर्दा

Advertisment

यह भी पढ़ें- प्राणी उद्यान में बढ़ रहा दुर्लभ वन्यजीवों का कुनबा, जयपुर से आएंगे चिंकारा और लकड़बग्घा

यह भी पढ़ें- पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति केजीएमयू से रिफर, बलरामपुर अस्पताल में पुराने ठिकाने पर पहुंचे 

Electricity Privatisation UPRVUP Avadhesh Verma uppcl
Advertisment
Advertisment