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यूपी में बिजली दरें घोषित करने में क्यों हो रही देरी, uppcl की चाल से उठा पर्दा Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में नई बिजली दरें समयसीमा बीत जाने के बाद भी घोषित नहीं हुई हैं। नियमानुसार, विद्युत नियामक आयोग को वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) मंजूर होने के 120 दिनों के भीतर दरें घोषित करनी होती हैं। नौ मई को एआरआर को मंजूरी दी गई थी। ऐसे में नौ सितंबर तक दरें जारी हो जानी चाहिए थीं। राज्य उपभोक्ता परिषद ने इस देरी के पीछे निजीकरण और बिजली के दाम बढ़ाने की आशंका जताई है।
निजीकरण के लिए समय बढ़ाने की कोशिश
परिषद ने आरोप लगाया कि पावर कारपोरेशन ने बिजली के दाम बढ़ाने के लिए 25 हजार करोड़ के घाटे का हवाला दिया है। हकीकत यह है कि पिछले कई वर्षों से बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस है। इस वित्तीय वर्ष में भी उपभोक्ताओं का कंपनियों पर बकाया निकलना तय है। परिषद का कहना है कि कारपोरेशन दीपावली के बाद बिजली दरें घोषित कराना चाहता है। ताकि निजीकरण की प्रकिया को आगे बढ़ाने के लिए और समय मिल सके, लेकिन उसकी ये चाल कामयाब नहीं होने दी जाएगी।
आयोग से नई बिजली दरें घोषित करने की मांग
परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने यंग भारत न्यूज से बातचीत में कहा कि बिजली दरों की घोषणा से पहले आद्यो​गिक समूह निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने के लिए आयोग पर दबाव बना रहे हैं। चूंकि बिजली दरें घोषित होने पर निजीकरण की प्रक्रिया संदेह के घेरे में आ जाएगी। वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर सरप्सल होने पर भी बिजली दरों में वृद्धि गैरकानूनी होगी। दरों में कटौती या यथावत रखी जाएं। चाहिए। इसलिए को आयोग तत्काल नई दरों की घोषणा कर देनी चाहिए।
उपभोक्ता परिषद की मांगें
- विद्युत नियामक आयोग तत्काल बिजली दरों की घोषणा करे।
- दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को पूरी तरह रद्द किया जाए।
- झूठा घाटा दिखाने पर पावर कारपोरेशन पर कार्रवाई की जाए।
- निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल निरस्त हो।
UPRVUP | Electricity Privatisation | Electricity Rates In UP
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