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चंडीगढ़ की तर्ज पर यूपी में निजीकरण Photograph: (google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि चंडीगढ़ की तर्ज पर यूपी में बिजली कंपनियों का निजीकरण किया जा रहा है। जबकि चंडीगढ़, उड़ीसा और यूपी के आगरा और नोएडा में निजीकरण का प्रयोग विफल साबित हुआ है। ऐसे में इस विफल प्रयोग को प्रदेश के पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जिलों में थोपने का कोई औचित्य नहीं है।
चंडीगढ़ में निजीकरण का प्रयोग विफल
समिति के मुताबिक, इस साल एक फरवरी को चंडीगढ़ में बिजली कर्मियों के विरोध के बावजूद के विद्युत विभाग को गोयनका की एमीनेंट पावर कंपनी लिमिटेड को सौंपा गया था। तर्क दिया कि निजीकरण के बाद 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी। यूपी में निजीकरण के पीछे भी यही तर्क दिया जा रहा है।
चंडीगढ़ में घंटे बिजली कटौती
चंडीगढ़ में निजीकरण के बाद दो से छह घंटे तक बिजली कटौती की जा रही है। निजीकरण के छह महीने में ही चंडीगढ़ में बिजली आपूर्ति पूरी तरह पटरी से उतर गयी है। उन्होंने चंडीगढ़ की मेयर हरप्रीत कौर बाबला के हवाले से कहा कि निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं की शिकायत सुनने वाला कोई नहीं है। निजी कंपनी की हेल्पलाईन निष्क्रिय है।
मुख्य सचिव ने संभली कमान
चंडीगढ़ रेजीडेंट एसोसिएशन वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष हितेश पुरी का बयान है कि घरेलू उपभोक्ताओं खासकर गरीब उपभोक्ताओं की बिजली कटौती आए दिन हो रही है, जो छह महीने पहले नहीं होती थी। हालात इतने खराब हो गए हैं कि मुख्य सचिव को सीधे अपने हाथ में कमान लेनी पड़ी है।
चंडीगढ़ की तर्ज पर यूपी में निजीकरण
यूपी में बिजली कंपनियों के निजीकरण मसौदा चंडीगढ़ के आरएफपी डाक्यूमेंट के आधार पर तैयार किया गया है। चंडीगढ़ में लगभग 22 हजार करोड़ रुपये की विद्युत विभाग की परिसम्पत्तियों को बेचने के लिए मात्र 124 करोड़ रुपये की रिजर्व प्राइस रखी गयी थी और इस डाक्यूमेंट के आधार पर चंडीगढ़ का विद्युत विभाग मात्र 871 करोड़ रुपये में बेच दिया गया।
आरएफपी डाक्यूमेंट लूट का दस्तावेज
समिति ने कहा कि यूपी पावर कारपोरेशन के पूर्व निदेशक वित्त निधि नारंग की कारपोरेट घरानों की मिलीभगत से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की एक लाख करोड़ रुपये की परिसम्पत्तियों को बेचने के लिए चण्डीगढ़ की तर्ज पर रिजर्व प्राइस मात्र 6500 करोड़ रुपए रखी गयी है। इस तरह यह आरएफपी डाक्यूमेंट लूट का दस्तावेज है, अतः इसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।
ग्रेटर नोएडा और आगरा की समीक्षा जरूरी
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुने ने कहा कि यूपी के 42 गरीब जनपदों में बिजली के निजीकरण का प्रयोग करने के पहले ग्रेटर नोयडा और आगरा की समीक्षा बेहद जरूरी है। ग्रेटर नोयडा में निजी कंपनी के खराब परफार्मेंस को देखते हुए प्रदेश सरकार सर्वोच्च न्यायालय में कंपनी के निजीकरण का करार रद्द कराने के लिए मुकदमा लड़ रही है।
टोरेंट ने 2200 करोड़ राजस्व हड़पा
इसी तरह आगरा में टोरेंट पावर कंपनी ने पावर कारपोरेशन का 2200 करोड़ रुपये का बिजली राजस्व हड़प लिया है। निजी कंपनी को लागत से कम मूल्य पर बिजली देने के चलते कारपोरेशन को 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निजीकरण का निर्णय निरस्त करने की मांग की
बिजली कर्मियों का प्रदर्शन जारी
दुबे ने बताया कि निजीकरण के विरोध में आज वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, मेरठ, आगरा, बस्ती, आजमगढ़, मिर्जापुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोयडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, बरेली, आयोध्या, देवीपाटन, अलीगढ़, मथुरा, एटा, सुल्तानपुर, ओबरा, अनपारा, पिपरी, जवाहरपुर, पारीछा, पनकी में निजीकरण प्रदर्शन किए गए।
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