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उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में दाखिल की विधिक आपत्ति Photograph: (google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सोमवार को नियामक आयोग में विधिक आपत्ति दाखिल करके बिजली कंपनियों के निजीकरण का प्रस्ताव खारिज करने की मांग की है। परिषद ने कहा कि आयोग के पिछले पांच वर्षों में बिजली दरों को लेकर जारी आदेशों के खिलाफ अपीलेट ट्रिब्यूनल में मुकदमे दायर हैं। इन पर फैसला आने से बिजली कंपनियों की पूरी बैलेंस शीट बदल जाएगी। ऐसे में निर्णय आने से पहले आयोग निजीकरण के मसौदे पर सलाह नहीं दे सकता है।
निजीकरण प्रस्ताव खारिज करे आयोग
उपभोक्ता परिषद ने अपनी आपत्ति में कहा कि बिजली दरों पर ट्रिब्यूनल का फैसला आने पर बिजली कंपनियों की सम्पत्तियों के मूल्य और उपभोक्ताओं के निकल रहे 33122 करोड़ सरप्लस में बदलाव होगा। इसमें दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम का अनुपात लगभग 16 हजार करोड़ होगा। अभी बिजली कंपनियों का मूल्यांकन नहीं हो सकता ऐसे में आयोग को 42 जनपदों में निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज कर सरकार को अवगत करा देना चाहिए कि ट्रिब्यूनल का निर्णय आने के बाद ही कोई फैसला किया जा सकता है।
निजी घरानों को होगा बड़ा फायदा
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि दोनों बिजली कंपनियों की सम्पत्तियों में लगभग 2500 करोड़ को आयोग से खारिज किया था। यह मामला अपीलेट ट्रिब्यूनल में विचारधीन है। निर्णय आने से पहले बिजली कंपनियों को बेचने पर सरकार और पावर कारपोरेशन को नुकसान और निजी घरानों को बड़ा फायदा होगा।
आयोग के आदेश में बदलाव की संभावना
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि जिस कानून के तहत बिजलीं दरें तय की गईं, उसे नोएडा पावर कंपनी ने हाईकोर्ट में चुनाती दी है। इस पर सुनवाई चल रही है। आयोग उसमें खुद पार्टी है। इस मामले में फैसला आने से आयोग के आदेश में बदलाव होने की संभावना है। ऐसे में इन आंकड़ों के आधार पर निजीकरण के मसौदे को हरी झंडी नहीं दी जा सकती है।
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