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samajwadi party chief akhilesh yadav
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। सत्ता के समीकऱणों पर भले ही कोई असर न पड़े लेकिन एक चुनाव ऐसा भी है जो समाजवादी पार्टी (samajwadi party) के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है और वह शिक्षक-स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव। यही वजह है कि SP ने इस चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की घोषणा में कोई विलंब नहीं किया। शिक्षक-निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव अगले साल होना है और इसे जीतने के लिए भाजपा भी जोर लगाएगी लेकिन सपा ने फिलहाल 11 सीटों में से पांच पर कैंडीडेट घोषित करके मनोवैज्ञानिक बढ़त ले ली है। हालांकि उसके लिए कोढ़ में खाज का काम किया है, उसके साथ गठबंधन में शामिल कांग्रेस ने। कांग्रेस भी यह चुनाव पूरी क्षमता से लड़ने की तैयारी कर रही है और पांच क्षेत्रों कै कैंडीडेट उसने भी घोषित कर दिए हैं।
प्रत्याशी न जीते तो छिन जाएगा नेता प्रतिपक्ष का पद
तो जानते हैं कि वह कौन सा डर है जो सपा ने साल भर पहले ही अपने कैंडीडेट घोषित कर दिए हैं। वस्तुतः विधान परिषद में सपा की स्थिति काफी कमजोर है और इसके पास सिर्फ दस सदस्य ही बचे हैं। इनमें यदि एक सदस्य भी कम हुआ तो सपा से विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष का पद छिन जाएगा। विधान परिषद में सौ सदस्य हैं और नेता प्रतिपक्ष पद पर बने रहने के लिए दस सदस्यों का होना जरूरी है। इन दस सदस्यों में तीन शिक्षक स्नातक क्षेत्र से चुने गए MLC हैं। इलाहाबाद-झांसी स्नातक क्षेत्र से मान सिंह यादव चुने गए हैं तो वाराणसी से आशुतोष सिन्हा चुनकर आए हैं। सपा के तीसरे सदस्य लाल बिहारी यादव हैं जो शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए हैं। सपा ने इन तीनों पर दोबारा भरोसा जताया है और इनमें से यदि कोई भी सीट हारा तो पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी और यदि उसके अन्य प्रत्याशियों में कोई नहीं जीता तो उससे नेता प्रतिपक्ष का पद छिन सकता है। sp नहीं चाहती कि उससे यह पद छिने, इसीलिये उसने वक्त रहते ही अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी।
सुनियोजित रणनीति के तहत घोषित किए गए उम्मीदवार
वस्तुतः समाजवादी पार्टी इस बार एमएलसी चुनाव रणनीति बनाकर लड़ रही है और इसका इरादा है कि अधिक से अधिक सीटें जीतकर विधान परिषद में अपनी स्थिति मजबूत की जाए। रणनीति के तहत ही प्रत्याशियों को तैयारी के लिए पूरा वक्त दिया गया है। शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव काफी व्यापक क्षेत्र में होता है इसके लिए मतदाता सूची तैयार करने में काफी वक्त लगता है। प्रत्याशी अपने स्तर पर भी स्नातकों का नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने के लिए प्रयास करते हैं। अब उन्हें इसके लिए पर्याप्त समय मिलेगा। इस चुनाव से सत्ता के समीकरणों पर असर भले ही न पड़े, लेकिन 2027 के चुनाव के लिए एक संदेश तो जाएगा ही जिसे सपा पूरी तरह भुनाने की काम करेगी। अन्य जिन दो सीटों पर सपा ने उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें लखनऊ स्नातक क्षेत्र से पूर्व MLC कांति सिंह और गोरखपुर-फैजाबाद सीट से कमलेश यादव हैं। गोरखपुर सीट का चुनाव यदि सपा जीतती है तो भाजपा के लिए यह तगड़ा झटका होगा।
कांग्रेस कर सकती है सपा का राह मुश्किल
जहां तक विधान परिषद में दलीय ताकत का सवाल है तो भाजपा का स्थिति काफी मजबूत है। सौ सदस्यों में उसके 79 सदस्य हैं। तीन सीटें उसके घटक दलों के पास हैं, जबकि पांच निर्दलीय हैं। कांग्रेस का कोई सदस्य विधान परिषद में नहीं है और इसीलिए वह इस बार काफी सक्रिय नजर आ रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने खुलकर घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। पार्टी ने जिन सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं, उनमें लखनऊ स्नातक क्षेत्र से डा. देवमणि तिवारी, मेरठ से विक्रांत वशिष्ठ, आगरा से रघुराज सिंह पाल, वाराणसी से अरविंद सिंह पटेल और वाराणसी शिक्षक क्षेत्र से संजय प्रियदर्शी शामिल हैं। कांग्रेस कोई सीट भले ही न जीत पाए लेकिन SP की राह को कठिन जरूर करेगी।
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