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बिहार से UPPCL ने नहीं लिया सबक, निजी कंपनियों के फायदे को स्मार्ट मीटर लगाने में जल्दबाजी

निजी घराने और ऑल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाने की कवायद में जुट गए हैं।

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Deepak Yadav
protest today against smart meter

निजी घरानों के फायदे के लिए जल्दबाजी में लगाएं जा रहे स्मार्ट मीटर Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का मामला फिलहाल विद्युत नियामक आयोग में अग्रिम कार्यवाही के लिए विचाराधीन है। इस बीच निजी घराने और ऑल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाने की कवायद में जुट गए हैं। चूंकि स्मार्ट मीटर परियोजना पर निजी कंपनियों के करोड़ों रुपये लगे हैं। जिसका भुगतान मीटर लगने के बाद भी होगा।

जल्दबाजी में लगाए जा रहे मीटर

भारत सरकार ने स्मार्ट प्रीपेट मीटर योजना के लिए 18,885 करोड़ रुपये मंजूर किया था। बिजली कंपनियों ने उस काम को 27,342 करोड़ रुपये में दिया। विरोध के बाद भी करीब 8,500 करोड़ रुपये अधिक का टेंडर दिया गया। ऐसे में निजी घरानों भुगतान फंसने के डर से जल्दबाजी में मीटर लगाने में जुटे हैं। 

ईईएसएल ने नहीं बदले पुराने मीटर

बता दें कि ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन (AIDA) के डायरेक्टर पावर कारपोरेशन के पूर्व अध्यक्ष आलोक कुमार हैं। उनके कार्यकाल में पुरानी तकनीक के 12 लाख स्मार्ट मीटर प्रदेश में लगाए गए। शिकायत पर इन सभी बिजली मीटर को नई तकनीक में बदलने का आदेश जारी हुआ। लेकिन बिजली मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली कंपनी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने मीटर नहीं बदले। 

मीटर न बदलने का खामियाजा भुगत रही जनता 

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि भारत सरकार के आदेश के तहत इन मीटर की लागत प्रदेश के उपभोक्ताओं से नहीं वसूल जा सकती। उस पर विद्युत नियामक आयोग ने अपनी मुहर भी लगा दी है। पूर्व में लगे 12 लाख स्मार्ट मीटर को पुरानी से नई तकनीकी में नहीं बदलने का खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही है।

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बिहार का उदाहरण देकर चेताया

वर्मा ने बिहार का एक उदाहरण देते हुए चेताया कि वहां भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर जल्दबाजी में लगवाए गए थे। शिकायत पर ईडी की जांच के बाद एक आईएएस को जेल जाना पड़ा। जांच में खुलासा हुआ कि जल्दबाजी में मीटर लगवाने के लिए मीटर निर्माता कंपनी ने एक आईएएस को भारी रकम और चंडीगढ़ में बांग्ला भी दिया था।

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