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बिजली खरीद पर पावर कॉरपोरेशन को नियामक आयोग से झटका Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पावर कारपोरेशन को नियामक आयोग से एक बार फिर झटका लगा है। आयोग ने बिजली खरीद प्रस्तावों के मामले की सुनवाई के बाद पूरा प्रकरण स्थगित करते हुए पावर कॉरपोरेशन से ब्योरा तलब किया है। आयोग ने पावर कॉरपोरेशन से पूछा है कि बिजली खरीद के लिए उसकी स्पष्ट योजना क्या है? यह भी स्पष्ट किया जाए कि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी से मंजूरी की स्थिति क्या है। आयोग ने दो टूक कहा कि जब तक पूरी और स्पष्ट रूपरेखा उसके सामने पेश नहीं की जाती, सुनवाई नहीं होगी और कोई फैसला भी दिया जाएगा।
दो साल में 21,000 मेगावॉट बिजली खरीद के आवेदन
दरअसल, गर्मियों में बिजली की अधिकतम मांग को देखते हुए पावर कॉरपोरेशन ने 1000 और 2000 मेगावॉट बिजली खरीद के प्रस्ताव नियामक आयोग में दाखिल किए थे। बीते दो सालों में कॉरपोरेशन करीब 21 हजार मेगावॉट बिजली खरीद के लिए अलग-अलग आवेदनों के जरिए प्रस्ताव आयोग में दाखिल कर चुका है। हाल ही जारी आदेश में आयोग ने 2000 और 1000 मेगावॉट के लॉन्ग व मीडियम टर्म बिजली खरीद के प्रस्तावों को स्थगित कर दिया है।
उपभोक्ता परिषद ने की सीबीआई जांच की मांग
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली खरीद की टेंडर प्रक्रिया और एग्रीमेंट पर सवाल उठाए हैं। परिषद के अनुसार, एक तरफ पावर कॉरपोरेशन प्रदेश के 42 जिलों में बिजली वितरण व्यवस्था निजी हाथों में देने जा रहा है और दूसरी तरफ वह बिजली खरीद पर टूट पड़ा है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बीते दो साल में लगभग 21 हजार मेगावॉट के बिजली खरीद अनुबंध और टेंडर प्रकिया में हैं। पहले ही महंगे अनुबंधों की वजह से प्रदेश के उपभोक्ताओं को बिजली के ज्यादा दाम चुकाने पड़ रहे हैं। कॉरपोरेशन को बिजली खरीद की दरें जारी करनी चाहिए। वर्मा ने पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
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