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वर्टिकल सिस्टम का मामला पहुंचा नियामक आयोग Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राजधानी में 15 नवंबर से लागू हो रही वर्टिकल व्यवस्था (Vertical System) के खिलाफ बिजली कर्मचारी लामबंद हैं। इस बीच राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली विभाग में मौजूदा व्यवस्था को बदलकर नई प्रणाली लागू करने के विरोध में गुरुवार को नियामक आयोग में लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल किया। परिषद ने आरोप लगाया कि आयोग की अनुमति के बिना वर्टिकल व्यवस्था लागू की जा रही है। कई शहरों में यह प्रणाली विफल साबित हुई है। इससे बिजली कर्मचारी और उपभोक्ता परेशान हैं।
चार शहरों में वर्टिकल सिस्टम रहा विफल
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आयोग के चेयरमैन अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर लोक महत्व प्रस्ताव सौंपा। उन्होंने आयोग को अवगत कराया कि कानपुर, अलीगढ़, वाराणसी, मेरठ में वर्टिकल सिस्टम पूरी तरह विफल रहा है। इसके बावजूद पावर कॉरपोरेशन मौजूदा व्यवस्था को चौपट करने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि पावर कॉरपोरेशन इस व्यवस्था में उपभोक्ता की समस्या का समाधान 1912 हेल्पलाइन के माध्यम से करने की बात कर रहा है। जबकि 1912 से शिकायतों का सही समाधान नहीं हो पा रहा है। जिससे 43 फीसदी से अधिक उपभोक्ता बिजली विभाग से खफा हैं।
लखनऊ में नई प्रणाली का प्रयोग उचित नहीं
वर्मा ने कहा कि 15 नवम्बर से लखनऊ, नोएडा और अन्य नगरों में वर्टिकल व्यवस्था लागू करने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि लखनऊ का बिजली आपूर्ति तंत्र बेहद संवेदनशील है। चूंकि यहां उच्च न्यायालय, मुख्यमंत्री कार्यालय, राजभवन और सचिवालय में बिजली आपूर्ति होती है। ऐसे में बिना अनुमति के नई प्रणाली का प्रयोग करना सेवा की विश्वसनीयता और जनसुविधा के लिए गंभीर खतरा हो सकता है।
14 नवंबर को एमडी का घेराव करेंगे कर्मचारी
बता दें कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की प्रबंध निदेशक रिया केजरीवाल ने बीते दिनों निदेशकों और मुख्य अभियंताओं को वर्टिकल व्यवस्था लागू करने के लिए तैयारी दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे। पहले इसे एक नवंबर को लागू किया जाना था। लेकिन तैयारियां पूरी नहीं होने के कारण इसकी तिथि पंद्रह दिन बढ़ा दी गई थी। वहीं वर्टिकल व्यवस्था के विरोध में संविदा बिजली कर्मचारी 14 नवंबर को मध्यांचल एमडी कार्यालय का घेराव करेंगे।
परिषद ने आयोग से मांगें
- बिना आयोग की अनु​मति के लागू की जा रही वर्टिकल व्यवस्था पर रोक लगाई जाए।
- विद्युत निगम से इस अनधिकृत कार्यवाही पर स्पष्टीकरण मांगा जाए।
- जब तक नियामक प्रक्रिया और उपभोक्ता परामर्श पूरा न हो, नई प्रणाली लागू न की जाए।
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