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Moradabad: अतीत का गवाह बना डीआरएम दफ्तर के बाहर रखा गया भाप इंजन है उपेक्षा का शिकार

भारतीय रेलवे के इतिहास की निशानी,मुरादाबाद डीआरएम कार्यालय के बाहर खड़ा पुराना भाप इंजन, आसमान के नीचे खुले में धूल फांक रहा है। बीते समय में यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुचाने वाला यह भाप का इंजन आज भी लोगों के लिए किसी कौतूहल से कम नहीं है।

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Anupam Singh
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डीआरएम कार्यालय के बाहर खड़ा भाप इंजन

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मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

भारतीय रेलवे के इतिहास की निशानी,मुरादाबाद डीआरएम कार्यालय के बाहर खड़ा पुराना भाप इंजन, आसमान के नीचे खुले में धूल फाक रहा है। बीते समय में यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुचाने वाला यह भाप इंजन आज रेलवे विभाग के दफ्तर में खड़ा है। जिस पर अब जंग लग चुकी है। 1980 के दशक तक अधिकांश भाप इंजन  सेवा से सेवानिवृत्त हो गए थे,लेकिन कुछ इंजन अभी भी पर्यटक और हेरिटेज लाइनों पर चल रहे हैं।

आजादी के समय चलता था, इंग्लैंड की कंपनी करती थी निर्माण

एक समय में यह शहरवासी और पर्यटकों की प्रर्दशनी का केंद्र रहता था। लेकिन रख रखाव के आभाव के कारण  आजादी के वक्त  जब ट्र्नें भाप इंजन से चलती थी। तब ब्रिटिश सरकार में ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी की ओर से रेलवे लाइन बिछाने और सड़क निर्माण  करने का काम भी स्टीम इंजन वाले रोड रोलर से कराया जाता था। तब कोयल को इंजन में  डालकर ट्रेनों का संचालन भाप इंजन से ही किया जाता था। रेलवे की ओर से  इंग्लैंड की अलग-अलग कंपनियों द्वारा इनका निर्माण कराया जाता था। इन्हें पानी के जहाज के जरिए से देश में लाया जाता था। हालांकि अब यह चलन में नहीं है लेकिन रेलवे ने ट्रेन को चलाने वाली स्टीम को आज भी संभाल कर तो रखा है। लेकिन देखभाल के अभाव में इसकी रंग अब पहले से ज्यादा फीका पड़ चुका है। इंजन की बॉडी पर जगह जगह जंग लग चुका है। 

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लोगों ने बताया

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रेलवे कालोनी व वहां आस पास के स्थानीय लोगों का कहना है। यह इंजन रेलवे की ऐतिहासिक धरोहर भाप इंजन है। लेकिन अब प्रशासन की अनदेखी की वजह से इसकी हालत जर्जर हो चुकी है जब इसे यहां लगाया गया था, तब यह एक आकर्षण का केंद्र था, लेकिन अब यह एक धूल और बारिश की मार भी झेल रहा है। लोगों का कहना इसकी देखभाल की जानी चाहिए। जिससे आने वाली पीढ़ियों इस ऐतिहासिक धरोहर को देख सकें।

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