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व्यासपीठ से आचार्य कोठारी Photograph: (Moradabad)
मुरादाबाद वाईबीएन संवाददाता नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के अंतर्गत रविवार को चतुर्थ दिवस की कथा का आयोजन हुआ। व्यास पीठ से परम पूज्य आचार्य कोठारी जी ने कथा सुनाते हुए बताया कि श्रीमद्भागवत मात्र सात दिनों में मनुष्य की सभी समस्याओं का समाधान कर देती है। उन्होंने कहा कि पुण्य का घमंड कभी नहीं करना चाहिए, बल्कि पाप से बार-बार बचने और उसे नष्ट करने का प्रयास करना चाहिए।
अग्नि में ही नहीं, बल्कि अपने मन से भी आहुति देनी चाहिए
आचार्य जी ने आगे कहा कि मनुष्य के जीवन में शुद्ध मन का होना अत्यंत आवश्यक है। जब तक मन शुद्ध नहीं होगा, तब तक किसी भी आहुति या उपासना का फल संपूर्ण नहीं मिल सकता। उन्होंने श्रद्धालुओं को समझाया कि आहुति देते समय केवल अग्नि में ही नहीं, बल्कि अपने मन से भी आहुति देनी चाहिए। उन्होंने वेदों और पुराणों का महत्व बताते हुए कहा कि हिन्दू धर्म में वेदों को भगवान का स्वरूप माना गया है। इतिहास और परायण के माध्यम से वेदांत की शिक्षा समाज तक पहुँचती है। इस अवसर पर कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन भी हुआ। जैसे ही कथा में भगवान कृष्ण के प्राकट्य प्रसंग का वर्णन हुआ, वैसे ही कथा स्थल पर भक्त उत्साह और भक्ति में डूब गए।
नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की जैसे भजन गूंज उठे। भक्तों ने झूम-झूमकर भक्ति का आनंद लिया। महिलाएँ और बच्चे मटकी सजाकर नंदोत्सव में शामिल हुए। पूरे पंडाल में उत्सव जैसा वातावरण बन गया। कथा स्थल पर श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन और झूमते नाचते हुए श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का आनंद लिया।
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