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Moradabad: आखिर कब तक मरीजों की जिंदगी से खेलते रहेंगे झोलाछाप

जनपद में झोलाछाप डॉक्टरों का मकड़जाल फैला हुआ है।सीएमओ कार्यालय में क्लीनिक,नर्सिंगहोम व अस्पताल मिलाकर लगभग 500 पंजीकृत हैं। डिग्रीधारी डॉक्टरों से ज्यादा संख्या झोलाछापों की हैं। यह झोलाछाप लगातार लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।

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Anupam Singh
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वाईबीएन, संवाददाता।

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जनपद में झोलाछाप डॉक्टरों का मकड़जाल फैला हुआ है।सीएमओ कार्यालय में क्लीनिक,नर्सिंगहोम व अस्पताल मिलाकर लगभग 500 पंजीकृत हैं। डिग्रीधारी डॉक्टरों से ज्यादा संख्या झोलाछापों की हैं। यह झोलाछाप लगातार लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। बिना डिग्री व प्रशिक्षण के लिए घरों में अस्पताल चलाकर लोगों का ऑपरेशन कर रहे हैं। जिनके बारे में स्वास्थ्य विभाग के पास जानकारी होने के बाबजूद भी ऐसे अस्पतालों को बंद नहीं कराया गया,मगर बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे हैं और इस पेशे की आड़ में अपनी जेबें भरने में जुट हुए हैं।

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पंजीकरण सिर्फ दो का चल रहे हैं बीस अस्पताल

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सिविल लाइन थाना क्षेत्र के अगवानपुर में सिर्फ दो अस्पतालों का पंजीकरण सीएमओ ऑफिस में दर्ज है,जबकि अगवानपुर में 20 से अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है।पाकबड़ा में आठ अस्पताल,नर्सिंगहोम व क्लीनिक का पंजीकरण हैं जबकि 100 से ज्यादा का संचालन हो रहा है।विभाग में सांठगांठ होने के कारण इनमें से कई झोलाछाप कार्रवाई से भी बचे रहते हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।अस्पताल सीज करने की कई कार्रवाई हो चुकी हैं,मगर चंद दिन बाद ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन्हीं अस्पतालों को या क्लिनिकों को खोल दिया जाता है,या झोलाछापों ने दूसरे नाम से अस्पताल शुरू करा दिए जाते हैं।

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डॉक्टर रहती है मुंबई में अस्पताल चल रहे यहां

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एक ही डॉक्टर के दस्तावेजों पर जिले भर में चार-चार अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं,जिसकी शिकायत भी सीएमओ ऑफिस में आई है।अक्टूबर माह में पाकबड़ा स्थित आयुष्मान अस्पताल को सीज किया गया था,जिसमें महिला डॉक्टर के स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ के दस्तावेज लगे थे,वह मुंबई में रहती हैं। उस डॉक्टर के नाम पर कुछ और अस्पताल भी मुरादाबाद के आसपास क्षेत्रों में संचालित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग भी इस मामले की जांच कर रहा है,मगर जांच कब पूरी होगी किसी को नहीं पता।

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 दर्ज कराए गए मुकदमों में धारा कमजोर क्यों

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स्वास्थ्य विभाग द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमों में कमजोर धाराओं का लाभ झोलाछाप डॉक्टरों को मिलता है,जिससे इन लोगों को आसानी से जमानत मिल जाती है और जेल भी नहीं जाना पड़ता। एक साल में 50 से ज्यादा झोलाछापों पर कार्रवाई हुई है। इनमें से सिर्फ एक को ही जेल भेजा गया है। बाकी सभी डॉक्टर पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं।आखिर इन पर कार्रवाई कब तक होगी ये बड़ा सवाल है।

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विभाग के अधिकारी सवालों के घेरे में

कुछ माह पहले झोलाछाप डॉक्टरों और अस्पतालों की कमान डॉ नरेंद्र चौधरी के हाथ में हुआ करती थी,उनकी एक ऑडियो वायरल होने के बाद आनन फानन में पद से हटा दिया गया,जिसके बाद उनके खिलाफ जांच के आदेश भी दिए गए।ऑडियो में डॉ नरेंद्र चौधरी अपने सिपेहसालार से बात करते हुए सुनाई दिए,जिसमें कौन से अस्पताल से हफ्ता आयेगा,कौन सा अस्पताल सीज होगा,किस पर कार्रवाई करनी है,किस पर कार्रवाई नहीं करनी हैं आदि बातों का जिक्र था। ऑडियो वायरल होने के बाद डॉ नरेंद्र चौधरी को उनके पद से हटा दिया गया और विभागीय जांच के आदेश भी दे दिए,मगर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब देखने वाली बात यह होगी कि कोई कार्रवाई होती भी है या यह जांच की फाइल भी ठंडे बस्ते में चली जाएगी।

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सीएमओ कुलदीप सिंह ने कहा जल्द ही करेंगे कार्रवाई

झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से कई मौतों ओर फर्जी अस्पताल चलने की सूचना फोन व खत के माध्यम से ऑफिस में मिली हैं,पूरे जनपद में झोलाछापों के खिलाफ बड़े स्तर पर अभियान चलाने की तैयारी है।जिसके लिए टीम का गठन कर दिया गया है,एक माह के अंदर स्थिति बदली हुई नजर आएगी।पुलिस के उच्च अधिकारियों से वार्ता करके जल्द ही ऐसे लोगों को सलाखों के पीछे भेजा जाएगा।

 

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