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Moradabad: धड़ल्ले से बेची जा रही है प्राइवेट पब्लिशरों की किताबें,अभिभावकों की जेब पैर कैंची

स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रशासन के खिलाफ खूब नारे बाजी की। पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन फीस बढ़ोतरी और कोर्स में बदलाव न करने की मांग

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Anupam Singh
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जिलाधिकारी अनुज सिंह को ज्ञापन सौंपते पदाधिकारी

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मुरादाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

मुरादाबाद।  पेरेंट्स ओफ्‌ ऑल्‌ स्कूल के पदाधिकारीयों ने  मंगलवार को जिला कलेक्टर परिसर में एकत्र हुए। इसके बाद स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोतरी को लेकर अभिभावकों का गुस्सा प्रशासन के खिलाफ फूट पड़ा और खूब नारे बाजी की। पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी के नाम ज्ञापन सौंपा ज्ञापन के माध्यम से स्कूलों में फीस बढ़ोतरी और कोर्स में बदलाव न करने की मांग।

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मिलीभगत और चलती मनमानी का भुगतना पड़ रहा  खामियाजा

निजी स्कूलों और प्रकाशकों की मिलीभगत से  प्राइवेट स्कूलों में किताबों के दाम मनमाने तरीके से  बढ़ाए जा रहे हैं। स्कूलों में दिखाने के लिए तो एनसीईआरटी की किताबें मौजूद है पर जमीनी हकीकत  कुछ उल्ट ही नजर आती है। दरअसल स्कूलों की बताई दुकानों पर जाकर जब कोर्स खरीदा जाता है। तब चुने हुए दुकानदारों द्वारा मौके पर  किताब उपलब्ध ना होने की बात कहते हुए टालमटोल कर दिया जा रहा है। बुक डिपो के दुकानदार अभिभावकों व छात्रों से  किसी प्राइवेट पब्लिशर की किताबों को  खरीदने के लिए कहते है। जिसका दाम एनसीईआरटी की किताबों से कई गुना होता है। मजबूरन अभिभावकों को महंगी किताब को खरीदना ही पड़ता है। जिससे उनकी जेब पर कैंची चल जाती है। हर साल फीस भी बढ़ा दी जा रही है। 50 वाली किताब ₹100 में बेची जा रही है। जिससे स्कूलों को मोटा कमीशन मिल रहा है। 

पहले भी कई  बार जिलाधिकारी को पत्र सौंपकर मामले की शिकायत की जा चूकी है लेकिन किसी के भी खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती।  

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क्या कहता है शुल्क विनियम अधिनियम 2018

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विद्यालयों की पढ़ाई शुरु होने से  60 दिन पहले शुल्क विवरण अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना होता है। इस अधिनियम को स्कूलों की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। ऐसा नहीं करने पर  उत्तर प्रदेश स्वतंत्र पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियम) अधिनियम 2018 का उल्लंघन माना जाएगा। 11से 12 प्रति शत फीस हर साल बढ़ाई गई जो कि अब तक 38 प्रतिशत हो चूकी है। निजी स्कूल प्रबंधन प्रकाशकों के साथ गठजोड़ कर महंगे दामों पर किताबें बेच रहे हैं। सरकार की गाइड लाइन के बावजूद सस्ते प्रकाशन की किताबों को पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया जाता।

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1.वर्ष बार पुस्तक बदलने की प्रक्रिया

    2022-23 और 2023-24 में 12 प्रति शत पुस्तकें बदली गई थीं।

     2024-25 में 11 प्रति शत पुस्तकें बदली गई थीं।

     2025-26 में कोई भी पुस्तक बदली नहीं जा रही है।

क्या कहता है एनसीईआरटी का नियम

कक्षा 9 से 12 तक केवल NCERT की पुस्तकें लागू रहेंगी।

NCERT पुस्तकें स्कूल के बाहर भी उपलब्ध हैं।

यदि किसी निजी प्रकाशन की पुस्तक स्कूल में बेची जाती है, तो उसकी जांच की जा सकती है।

छात्रों को किताबें खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

पेरेंट्स ओफ्‌ ऑल्‌ स्कूल के पदाधिकारीयों ने कहा

पहले भी कई  बार जिलाधिकारी को पत्र सौंपकर मामले की शिकायत की जा चूकी है लेकिन किसी के भी खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती। अभिभावकों ने इस मुद्दे पर सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग की है।
क्या सरकार इस धांधली पर लगाम लगाएगी या फिर अभिभावकों को हर साल इस लूट का शिकार होना पड़ेगा।

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